➤ वायुसेना पायलट लोकेंद्र सिंह सिंधु को अंतिम विदाई
➤ एक महीने के बेटे को छोड़ देश के लिए दी शहादत
➤ परिवार ने कसम खाई – वीरता को बनाएंगे अमर
शहीद पायलट लोकेंद्र सिंह सिंधु की अंतिम यात्रा आज हरियाणा के रोहतक में पूरे सैन्य सम्मान के साथ संपन्न हुई। पूरा गांव और शहर एकजुट होकर इस वीर सपूत को विदाई देने उमड़ा। 9 जुलाई को राजस्थान के चुरू जिले में हुए जगुआर फाइटर जेट क्रैश में लोकेंद्र और उनके को-पायलट की शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हादसे के बाद अब जब पार्थिव देह रोहतक पहुंची, तो परिवार और क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। लेकिन उस शोक के बीच गर्व और सम्मान का भाव भी उतना ही गहरा था।
लोकेंद्र सिंह की पत्नी डॉ. सुरभि अपने सिर्फ एक महीने के बेटे के साथ उन्हें अंतिम बार देख रही थीं, और पूरा दृश्य अत्यंत मार्मिक था। वायुसेना के जवानों ने जब शहीद को तिरंगा और कैप सौंपा, तो वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। शहीद के बड़े भाई ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि लोकेंद्र बचपन से ही जिद्दी और साहसी थे — देश के लिए मर-मिटने की भावना उनमें शुरू से थी। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार अब लोकेंद्र की वीरगाथा को आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रखेगा।
श्मशान घाट पर जब तिरंगे से लिपटी पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, तो आसमान ‘भारत माता की जय’ और ‘जय हिंद’ के नारों से गूंज उठा। उस क्षण सिर्फ एक सैनिक नहीं, पूरे देश का बेटा विदा हो रहा था। लोकेंद्र की शहादत केवल एक हादसा नहीं, एक प्रेरणा है — उन सभी युवाओं के लिए जो भारत माता की सेवा में अपना जीवन समर्पित करना चाहते हैं।
उनका एक मासूम बेटा, जिसे वह जीते जी शायद केवल कुछ बार ही देख पाए, अब बड़े होकर जब पिता की तस्वीर देखेगा, तो उसे सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक गौरवशाली इतिहास मिलेगा। एक ऐसा इतिहास जिसमें साहस, समर्पण और शहादत की मिसाल दर्ज है।