भगवान शिव, जिन्हें महादेव, भोलेनाथ और नीलकंठ जैसे नामों से जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में संहारक के रूप में पूजे जाते हैं। शिव भक्तों के लिए जलाभिषेक एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जलाभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
जलाभिषेक के दौरान मंत्रों का महत्व
पंडित अनंत झा के अनुसार, जलाभिषेक के समय कुछ विशेष मंत्रों का जाप अत्यंत फलदायी माना जाता है। दो प्रभावशाली मंत्रों का उल्लेख किया गया है:
- ॐ नमः शिवाय: यह शिव का पंचाक्षरी मंत्र है और सबसे प्रसिद्ध मंत्रों में से एक है। इसका अर्थ है “मैं शिव को नमन करता हूं”। इस मंत्र का जाप करने से मन को शांति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है।
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥: यह महामृत्युंजय मंत्र है, जिसे मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और आयु में वृद्धि होती है।
जलाभिषेक करते समय ध्यान रखने योग्य विशेष बातें
जलाभिषेक के समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है, ताकि भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सके:
- गलत दिशा में मुख: जलाभिषेक करते समय आपका मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाभिषेक नहीं करना चाहिए।
- अशुद्ध जल का प्रयोग: जलाभिषेक के लिए हमेशा स्वच्छ और पवित्र जल का प्रयोग करना चाहिए। गंदा या अशुद्ध जल अर्पित करने से भगवान शिव अप्रसन्न हो सकते हैं।
- गलत तरीके से जल अर्पित करना: शिवलिंग पर जल धीरे-धीरे और धारा के रूप में अर्पित करना चाहिए। जल को छिड़कना या फेंकना उचित नहीं माना जाता है।
- मन में बुरे विचार: जलाभिषेक करते समय मन में किसी भी प्रकार के बुरे विचार नहीं लाने चाहिए। पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से ही जलाभिषेक करना चाहिए।
इन नियमों का पालन करके जलाभिषेक करना बहुत फलदायी माना जाता है, और भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।