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Haryana Breaking: CRSU के एग्जाम कंट्रोलर को किया बर्खास्त, छात्र को पास कराने की शिकायत पर हुई कार्रवाई

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Jind में चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी (CRSU) के एग्जाम कंट्रोलर डॉ. निहाल सिंह को उनकी नौकरी से छुट्टी दे दी गई है। उन पर आरोप था कि उन्होंने एक छात्र को गलत तरीके से पास किया और उसकी डिग्री पर साइन कराने के लिए महिला कर्मचारी पर दबाव डाला।

इस मामले में महिला कर्मचारी ने रजिस्ट्रार प्रोफेसर लवलीन मोहन से शिकायत की, जिसके बाद रजिस्ट्रार ने डॉ. निहाल सिंह को तुरंत रिलीव कर दिया और मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया। डॉ. निहाल सिंह अनुबंध के आधार पर एग्जाम कंट्रोलर के पद पर कार्यरत थे।

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छह महीने पहले उजागर हुआ था मामला

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यूनिवर्सिटी प्रबंधकों के अनुसार, यह मामला करीब छह महीने पहले सामने आया था। महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि डॉ. निहाल सिंह ने एक छात्र को गलत तरीके से पास कर दिया और उसकी डिग्री पर साइन कराने के लिए दबाव डाला। इस मामले में एक महिला कर्मचारी भी शामिल थी, जो एग्जाम ब्रांच में काम कर रही थी। हालांकि शिकायत के बाद मामला कुछ समय के लिए ठंडा पड़ गया था, लेकिन अब अचानक एग्जाम कंट्रोलर पर कार्रवाई की गई है।

रजिस्ट्रार ने की जांच की घोषणा

रजिस्ट्रार प्रोफेसर लवलीन मोहन ने इस मामले पर कहा कि छात्र को गलत तरीके से पास करने के आरोपों के चलते यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि डॉ. निहाल सिंह को मंगलवार को ही रिलीव कर दिया गया है और उनकी जगह डॉ. नीरज को एग्जाम कंट्रोलर नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, मामले की गहराई से जांच के लिए कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें अन्य लोगों की भूमिका और छात्र से संबंधित तथ्यों की जांच की जाएगी।

डॉ. निहाल सिंह ने आरोपों को झुकलाया, पूरी जांच की अपील की

पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. निहाल सिंह ने महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार और साजिश का हिस्सा बताते हुए इनकी सत्यता को नकारा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई वास्तविकता नहीं है और दो सालों तक उन्होंने पूरी ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाई। डॉ. सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि एग्जाम ब्रांच में किसी भी डिग्री या परिणाम में कोई लंबित कार्य नहीं है। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

एबीवीपी ने मामले की गंभीरता पर उठाए सवाल

महिला कर्मचारी के आरोपों के बाद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एबीवीपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, रोहन सैनी ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में छात्रों को जानबूझकर पास और फेल करने की साजिश चल रही है। उनका मानना है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक निष्पक्ष और विस्तृत जांच होनी चाहिए।

एबीवीपी ने इससे पहले भी PhD प्री कोर्स वर्क परीक्षा में एमबीए के छह छात्रों को जानबूझकर फेल करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि पीएचडी के लिए निर्धारित सीट से अधिक छात्रों को एमबीए में दाखिला दिया गया था, जिसके कारण इन छात्रों को जानबूझकर फेल किया गया।

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