Haryana में जननायक जनता पार्टी (JJP) और आजाद समाज पार्टी (ASP) मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। इस नए राजनीतिक गठबंधन का ऐलान JJP के संस्थापक और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला दिल्ली में करेंगे। इस मौके पर भीम आर्मी के चीफ और ASP के फाउंडर चंद्रशेखर आजाद भी मौजूद रहेंगे।
दुष्यंत चौटाला ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस गठबंधन की जानकारी दी। उन्होंने पोस्ट में लिखा, “किसान कमेरे की लड़ाई, हम लड़ते रहेंगे बिना आराम, ताऊ देवीलाल की नीतियां, विचारधारा में मान्यवर कांशीराम।”
गठबंधन का मकसद
हरियाणा में करीब 21% दलित वोटर हैं, जो चुनाव में हार-जीत तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। राज्य की 17 विधानसभा सीटें रिजर्व हैं और 35 सीटों पर दलित वोटरों का प्रभाव है। जजपा का टारगेट इन 17+35 सीटों पर है ताकि वह 2019 की तरह एक बार फिर से हरियाणा में किंगमेकर की भूमिका निभा सके।
पिछले विधानसभा चुनाव में जजपा को जाट और दलित वोटरों का अच्छा समर्थन मिला था। इस बार भी जजपा यही कोशिश कर रही है कि जाट और दलित बाहुल्य सीटों पर उसके उम्मीदवार अच्छा प्रदर्शन करें।
तीसरा मोर्चा बनने से कांग्रेस को हो सकता है नुकसान
हरियाणा में अगर गैर भाजपा तीसरा मोर्चा बनता है तो इसका सीधा असर कांग्रेस पर पड़ सकता है। भाजपा के खिलाफ नाराज वोटर जजपा, इनेलो, बसपा और आम आदमी पार्टी की ओर रुख कर सकते हैं। इस तरह के वोट बैंक बंटने से भाजपा को फायदा और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
2019 में BJP और JJP गठबंधन ने बनाई थी सरकार
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हरियाणा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, इसलिए 10 सीटें जीतने वाली JJP के साथ मिलकर सरकार बनाई गई। इस सरकार में मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री और JJP के दुष्यंत चौटाला को डिप्टी मुख्यमंत्री बनाया गया।
पिछले साढ़े चार साल तक दोनों दलों के बीच सब कुछ ठीक चलता रहा, लेकिन इस साल 12 मार्च को अचानक मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया।
लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को हुआ नुकसान
लोकसभा चुनाव में BJP और JJP ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिसमें दोनों पार्टियों को नुकसान हुआ। BJP को 10 में से 5 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, जबकि JJP की स्थिति और भी खराब रही। दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला हिसार सीट से बुरी तरह हार गईं।