Deepender Hooda

Rohtak में दीपेंद्र हुड्डा के सांसद बनने के बाद राज्यसभा सीट खाली, ECI करेगा अधिसूचना जारी

लोकसभा चुनाव राजनीति

Rohtak लोकसभा सीट से दीपेंद्र सिंह हुड्डा(Deepender Hooda) के सांसद बनने के बाद राज्यसभा की एक सीट(Rajya Sabha seat) खाली हो गई है। चुनाव आयोग (ECI) जल्द ही इस सीट पर चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करेगा। नियमानुसार, सीट खाली होने के छह महीने के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। हरियाणा में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए आयोग राज्यसभा की इस सीट पर इससे पहले ही चुनाव कराएगा।

बता दें कि राज्यसभा की सीट खाली होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने अपने-अपने दावे पेश करना शुरू कर दिया है। मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए भाजपा इस सीट की प्रबल दावेदार मानी जा रही है। हालांकि, अगर जननायक जनता पार्टी(JJP) और इंडियन नेशनल लोकदल(INLD) कांग्रेस का समर्थन करते हैं, तो भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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कानूनी विशेषज्ञ हेमंत का कहना है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act), 1951 की धारा 69 (2) के तहत यदि कोई व्यक्ति जो पहले से राज्यसभा का सदस्य है, लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो जाता है, तो राज्यसभा में उस व्यक्ति की सीट लोकसभा सदस्य चुने जाने की तारीख से ही खाली हो जाती है। इस हिसाब से, 4 जून से ही दीपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा से राज्यसभा के सदस्य नहीं रहे।

सदस्यता का शेष कार्यकाल एक वर्ष से अधिक

दीपेंद्र सिंह का राज्यसभा कार्यकाल अप्रैल 2020 से अप्रैल 2026 तक था। रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद उनकी राज्यसभा सदस्यता का शेष कार्यकाल एक वर्ष से अधिक है। भारतीय निर्वाचन आयोग आगामी कुछ सप्ताह में देश के विभिन्न राज्यों में रिक्त हुई उन सभी राज्यसभा सीटों पर उपचुनाव कराएगा, जहां से मौजूदा राज्यसभा सांसद लोकसभा चुनाव जीत गए हैं।

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भाजपा का दावा मजबूत होने के पीछे कई वजहें

पहली वजह यह है कि भाजपा अभी हरियाणा में सत्ता में है। विधानसभा में 41 विधायकों के साथ भाजपा सबसे बड़ा दल है। इसके अलावा, हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन मिलने के बाद भाजपा के पास 43 विधायकों का समर्थन है। कांग्रेस भी इस सीट के लिए पूरी तैयारी में है। अगर कांग्रेस को JJP और इनेलो का समर्थन मिल जाता है, तो भाजपा के लिए चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है। JJP के पास 10 और इनेलो के पास 1 विधायक हैं। कांग्रेस के पास खुद 31 विधायक हैं। इस प्रकार, कांग्रेस गठबंधन के पास कुल 42 विधायक हो सकते हैं, जो भाजपा के 43 विधायकों के करीब हैं।

राज्यसभा चुनाव पर पड़ेगा असर

इसके अलावा इस चुनाव में निर्दलीय विधायकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है। अगर निर्दलीय विधायक कांग्रेस गठबंधन का समर्थन करते हैं, तो भाजपा के लिए चुनाव जीतना और भी कठिन हो जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। भाजपा सत्ता में रहते हुए अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, जबकि कांग्रेस इस सीट को जीतकर अपनी वापसी का संदेश देना चाहती है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव भी इस राज्यसभा चुनाव पर प्रभाव डाल सकते हैं। दोनों पार्टियां इस चुनाव के परिणाम को विधानसभा चुनाव के लिए अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगी।

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