CM सैनी ने डिफॉल्टर बिल्डरों को दी राहत, EDC भुगतान के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम 30 सितंबर तक बढ़ी
बिल्डरों को दिए दो विकल्प, मूल राशि के साथ ब्याज व दंडात्मक शुल्क का भुगतान कर सकते हैं
जनवरी से EDC में 20% वृद्धि के बाद, गुरुग्राम-फरीदाबाद जैसे हाई पोटेंशियल जोन पर सबसे ज्यादा असर
Haryana EDC relief हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य के डिफॉल्टर बिल्डरों को बड़ी राहत दी है। जिन बिल्डरों ने वर्षों से बाह्य विकास शुल्क (EDC) का भुगतान नहीं किया है, उन्हें अब 30 सितंबर 2025 तक भुगतान करने का अतिरिक्त मौका मिलेगा। यह विस्तार ‘समाधान से विकास’ योजना के तहत किया गया है। इस योजना का उद्देश्य वर्षों से अटके बिल्डरों से बकाया वसूली करके शहरी बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, लाइसेंस और भूमि उपयोग परिवर्तन (CLU) के मामलों में लंबित EDC बकाया की वसूली के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत बिल्डरों को दो भुगतान विकल्प दिए गए हैं—पहले विकल्प में 100% मूल राशि, 56% बकाया ब्याज और 15 मार्च 2025 तक का दंडात्मक ब्याज देना होगा, जो 15 अप्रैल के बाद हर महीने 1% की दर से बढ़ता रहेगा। दूसरे विकल्प के तहत बिल्डर मूल राशि का 50%, 81% ब्याज और दंडात्मक ब्याज चुका सकते हैं, जो 15 अप्रैल के बाद हर महीने 1% की दर से बढ़ता रहेगा।
EDC यानी बाह्य विकास शुल्क वह राशि होती है, जो रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के आस-पास सड़क, जल, बिजली और सीवरेज जैसी सुविधाओं के लिए सरकार द्वारा वसूली जाती है। इससे शहरी विकास को मजबूती मिलती है और नई कॉलोनियों को मौजूदा शहरों से जोड़ने में सहूलियत होती है।
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार पहले ही जनवरी 2025 से EDC में 20% की वृद्धि कर चुकी है और हर वर्ष इसमें 10% की वृद्धि भी सुनिश्चित की गई है। इससे नए घरों की कीमतों में वृद्धि तय मानी जा रही है, क्योंकि बिल्डर यह शुल्क अंततः खरीदारों से ही वसूलते हैं। इस बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोहना जैसे हाई पोटेंशियल जोन में दिखाई देगा, जहां फ्लैट्स की डिमांड और कीमत पहले ही ऊंची हैं। वहीं, अंबाला, करनाल, हिसार, रोहतक जैसे मीडियम पोटेंशियल जोन में भी अब बिल्डर्स तेजी से रुख कर रहे हैं। इसके अलावा, सिरसा, भिवानी, फतेहाबाद जैसे क्षेत्रों में EDC वृद्धि का असर सीमित रहने की संभावना है।