जिले में हिंदी के प्रोफेसर सभी शहरवासियों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। प्रोफेसर ने शहर में जहां मुसाफिरों के लिए तेज धूप से बचने के लिए दूर-दूर तक छांव नहीं थी। वहां पर त्रिवेणी के पांव जमा कर हिंदी के प्रोफेसर ने उन सभी जगहों को खास पहचान दिलाई है।
ज्योतिष आचार्य का ज्ञान रखने वाले हिंदी के प्रोफेसर डॉ. सुरेश कुमार न केवल पर्यावरण संरक्षण में अनूठा योगदान दे रहे हैं। डॉ. सुरेश ज्योतिष के हिसाब से त्रिवेणी के रोपण पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लोगों को रूबरू करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि त्रिवेणी लगाने से पर्यावरण के साथ-साथ ओजोन भी सबल हो रहा है।
पिछले 9 सालों में लगा चुके हैं 250 त्रिवेणी
तोशाम को बनवारी लाल जिंदल सुईवाला कॉलेज में बतौर हिंदी प्राध्यापक के तौर पर कार्य करने वाले गांव देवसर निवासी डॉ. सुरेश कुमार पिछले करीब नौ सालों से 250 त्रिवेणी लगा चुके हैं। उनका कहना है कि त्रिवेणी (वट,पीपल, नीम) हमारे ब्रह्मांड की तरह ही तीन शक्तियों के प्रतीक माने जाते हैं। संतों में इन शक्तियों के नाम सत्व, रजस, तमस है। आयुर्वेदाचार्य ने वात्त, पित्त, कफ माना है, जबकि धर्माचार्यों ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश मानते हैं।
त्रिवेणी ऐसा भंडार जो देता है 24 घंटे ऑक्सीजन
वैज्ञानिकों ने इसे इलेक्ट्रान, प्रोटान, न्यूट्रान का नाम दिया है। त्रिवेणी वृक्ष प्रकृति को शुद्ध, पवित्र रखते हैं। समस्त धरा के प्राणियों को स्वस्थ रखने में अहम योगदान है। ये ऐसे भंडार हैं जो चौबीसों घंटे ऑक्सीजन तो देते ही हैं, पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देते हैं। इन वृक्षों का प्रभाव प्रकृति और ओजोन की परत पर सबसे अधिक पड़ता है, क्योंकि ये डेढ़ सौ से ढाई सौ सालों तक भी लगातार ऑक्सीजन की फैक्टरी के तौर पर काम करते रहते हैं।
मुख्य चौराहों के आसपास लगाई त्रिवेणी
डॉ. सुरेश कुमार ने ज्यादातर त्रिवेणी मुख्य चौराहों के नजदीक लगाई हैं। ऐसा इसलिए कि इन जगहों पर दिनभर में ज्यादा लोग जुटते हैं। उन्हें तेज धूप से बचने के लिए छांव मिल सके और बैठने के लिए सुकून भरा माहौल। सुरेश ने सांगवान चौक, तोशाम में बवानीखेड़ा रोड, बवानीड़ा रोड हनुमान मंदिर के समीप और सांगवान पुलिस चौकी के सामने त्रिवेणी लगाई हैं। इसके अलावा धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर भी त्रिवेणी लगाई हैं। वे अपने खर्च पर ही त्रिवेणी लाते हैं और लगाते हैं, न कोई संगठन है न किसी दूसरे से कोई मदद ले रहे हैं।