Delhi [i]प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी को गाजियाबाद के साहिबाबाद से दिल्ली के न्यू अशोक नगर तक दिल्ली-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर के 13 किलोमीटर लंबे अतिरिक्त खंड का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही नमो भारत ट्रेनें अब दिल्ली तक पहुंचेंगी, जो राष्ट्रीय राजधानी के लिए एक नई तेज़ गतिशीलता का अध्याय शुरू करेगी। शाम 5 बजे से इस खंड पर यात्री सेवाएं शुरू हो जाएंगी।
दिल्ली-मेरठ अब सिर्फ 40 मिनट में
इस नए खंड के शुरू होने के साथ, दिल्ली से मेरठ के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा। न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक की यात्रा अब महज 40 मिनट में पूरी की जा सकेगी, जो पहले की तुलना में एक तिहाई कम है।
दिल्ली में दो स्टेशनों पर सेवाएं शुरू
साहिबाबाद और मेरठ साउथ के बीच पहले से परिचालित 42 किलोमीटर के कॉरिडोर में यह 13 किलोमीटर का खंड जुड़ने से कुल परिचालित दूरी 55 किलोमीटर हो जाएगी। इस खंड में दो नए स्टेशन, न्यू अशोक नगर और आनंद विहार शामिल हैं। इनमें से आनंद विहार स्टेशन भूमिगत है और इसे मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन के तहत डिज़ाइन किया गया है। यह स्टेशन आईएसबीटी, दिल्ली मेट्रो (ब्लू और पिंक लाइन), रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से जुड़ा है, जिससे यात्रियों को निर्बाध परिवहन की सुविधा मिलेगी।
अब जरा किराये पर एक नजर
न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक स्टैंडर्ड कोच का किराया 150 रुपये और प्रीमियम कोच का किराया 225 रुपये निर्धारित किया गया है। ट्रेनों में महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध हैं। हर ट्रेन में एक कोच महिलाओं के लिए आरक्षित है। इसके अलावा, व्हीलचेयर और स्ट्रेचर के लिए भी प्रावधान हैं।
न्यू अशोक नगर और आनंद विहार स्टेशन की खासियत
न्यू अशोक नगर स्टेशन दिल्ली सेक्शन का पहला एलिवेटेड स्टेशन है। इसे दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन से जोड़ने के लिए 90 मीटर लंबा एफओबी बनाया गया है। स्टेशन पर 500 वाहनों की पार्किंग की सुविधा है।
आनंद विहार स्टेशन कॉरिडोर का सबसे बड़ा भूमिगत स्टेशन है। यात्रियों के लिए प्रवेश और निकास को आसान बनाने के लिए विशेष रैंप और पुल बनाए गए हैं। इसका निर्माण मेट्रो लाइनों के बेसमेंट के नीचे किया गया है, जो इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण है।
सड़क से एक लाख वाहन होंगे कम
दिल्ली-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर के पूरी तरह परिचालित होने के बाद, सड़क से एक लाख से अधिक निजी वाहन कम हो जाएंगे। इसके साथ ही, हर साल 2.5 लाख टन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।