● कुमारी सैलजा के आरोपों के बाद हरियाणा शिक्षा विभाग हुआ सक्रिय
● सभी निजी स्कूलों के लिए 6 सख्त निर्देश जारी, फीस और किताबों पर लगाम
● स्कूल बैग का वजन तय, महंगी यूनिफॉर्म और किताबों की बिक्री पर रोक की हिदायत
Haryana Private Schools: हरियाणा के सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा द्वारा निजी स्कूलों में फीस, किताबों और यूनिफॉर्म के नाम पर हो रही अवैध वसूली को लेकर उठाए गए सवालों के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है। विभाग ने राज्य के सभी निजी स्कूलों के लिए छह बिंदुओं पर आधारित सख्त एडवाइजरी जारी कर दी है।
हालांकि यह गाइडलाइन पहले भी मौजूद थी, लेकिन अब इसमें स्पष्ट निर्देशों के साथ अमल की चेतावनी दी गई है। विभाग ने सभी स्कूलों से कहा है कि केवल NCERT और CBSE द्वारा मान्यता प्राप्त किताबें ही छात्रों से मंगवाई जाएं। प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबों को अनिवार्य बनाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और आरटीई एक्ट के खिलाफ है।
इसके अलावा स्कूलों को हर साल यूनिफॉर्म बदलने से मना किया गया है। विभाग ने इसे अनुचित व्यावसायिक गतिविधि करार देते हुए कहा कि इससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। स्कूल अभिभावकों को अधिकृत दुकानों से ही यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर भी न करें।
स्कूलों को यह भी निर्देश दिया गया है कि बच्चों को पुरानी किताबों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें नए संस्करण खरीदने के लिए मजबूर न करें। यह न केवल पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर है, बल्कि आर्थिक रूप से भी उपयोगी साबित होता है।
शुद्ध पेयजल को लेकर विभाग ने कहा है कि सभी स्कूलों में पीने के साफ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। बच्चों को केवल अपनी बोतल से पानी लाने के लिए बाध्य करना गलत है।
स्कूल बैग के वजन को लेकर भी दिशा-निर्देश दोहराए गए हैं। कक्षा 1 और 2 के छात्रों का बैग 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। भारी बैग से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
सबसे महत्वपूर्ण निर्देश यह दिया गया है कि शिक्षा को व्यापार का जरिया न बनाएं। अधिकतर निजी स्कूल गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत हैं, इसलिए शिक्षा को सेवा की भावना से संचालित किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि वे एक ईमेल और टेलीफोन नंबर सार्वजनिक करें ताकि अभिभावक अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें। साथ ही, स्कूलों का नियमित निरीक्षण कर नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई करें और रिपोर्ट जल्द विभाग को भेजें।