Hisar में जिला परिषद चेयरमैन सोनू सिहाग डाटा की कुर्सी पर मंडरा रहे खतरे के बादल फिलहाल हट गए हैं। उनके खिलाफ एकजुट हुए पार्षदों में सेंध लग गई है, और कुछ पार्षद अब पाला बदलकर वापस चेयरमैन के पक्ष में आ गए हैं।
विपक्षी पार्षदों पर भारी पड़ा चेयरमैन का दांव
सोनू सिहाग ने कुर्सी जाने के दावे को चुनौती देते हुए विपक्षी पार्षदों के खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी के सामने समर्थित पार्षदों की परेड करवा दी, जिससे विपक्षी को करारा जवाब मिला।
मंत्री गंगवा और ग्रोवर की अहम भूमिका
सोनू सिहाग को समर्थन दिलाने में पीडब्ल्यूडी मंत्री रणबीर गंगवा और पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर की अहम भूमिका रही। खास बात यह रही कि मंत्री गंगवा के आलोचक रहे वार्ड 20 के पार्षद दर्शन गिरी भी उनके साथ दिखाई दिए।
11 पार्षदों का समर्थन
जिला परिषद चेयरमैन की कुर्सी बचाने के लिए 11 पार्षदों का समर्थन चाहिए था, और इतने ही पार्षदों ने मुख्यमंत्री के सामने सोनू सिहाग का साथ देने का वादा किया है। इसके साथ ही चेयरमैन की कुर्सी को लेकर पैदा हुआ संकट फिलहाल टल गया है।
हिसार में जिला परिषद चेयरमैन सोनू सिहाग को अब 11 पार्षदों का समर्थन मिल गया है, जिससे उनकी कुर्सी को फिलहाल सुरक्षा मिली है। समर्थक पार्षदों में शामिल हैं:
- वार्ड 20 से पार्षद दर्शन गिरी महाराज
- वार्ड 8 से वीर सिंह
- वार्ड 26 से राजेंद्र चहल
- वार्ड 7 से महेंद्र साहू
- वार्ड 17 से मोहित मलिक
- वार्ड 26 से यादवेंद्र यादव
- वार्ड 28 से दिनेश श्योराण
- वार्ड 3 से कर्मकेश कुंडू
- वार्ड 1 से विकास सेलवाल
- वार्ड 19 से ओपी मालिया
- और वाइस चेयरपर्सन रीना बूरा
रीना बूरा के पति समुंद्र बूरा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी, जिसके बाद यह समर्थन प्राप्त हुआ।
हिसार जिला परिषद का गणित
हिसार जिला परिषद में कुल 30 जोन हैं। भाजपा, जजपा और कांग्रेस ने अपने चुनाव चिन्ह पर उम्मीदवार नहीं उतारे थे, लेकिन जैसे-जैसे चेयरमैन का चुनाव नजदीक आया, इन पार्टियों के पार्षद एकजुट होते गए।
चेयरमैन और वाइस चेयरमैन चुनाव के दौरान, 12 पार्षद भाजपा, 14 जजपा और 4 कांग्रेस के साथ चले गए थे। इससे जजपा बड़ी पार्टी तो बनी, लेकिन कुर्सी की चाबी कांग्रेस के हाथ में आ गई। कांग्रेस ने भाजपा के साथ मिलकर रणनीति बनाई और पूर्व बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने अंदरखाते पार्षदों को एकजुट कर भाजपा का चेयरमैन बना दिया।
जानिए कैसे बची थी हिसार के जिला परिषद चेयरमैन की कुर्सी…
1. डीसी छुट्टी पर गए
भाजपा के जिला परिषद चेयरमैन को कुर्सी से हटाने के लिए करीब 24 पार्षद एकजुट हो गए थे, जिससे चेयरमैन की कुर्सी पर संकट आ गया था। जिला परिषद में कुल 30 पार्षद होने के कारण यह संकट और गहरा हो गया था। इसके बाद, जब पार्षद एकजुट होकर डीसी से अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक बुलाने के लिए पहुंचे, तो वे छुट्टी पर चले गए थे।
2. एडीसी का कुत्ता बीमार हो गया
डीसी की गैरमौजूदगी में, पार्षद एडीसी से अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक बुलाने की कोशिश करने गए, लेकिन एडीसी भी उनके आने से पहले ही कार्यालय से बाहर चली गईं। पार्षदों ने जब पता किया तो सामने आया कि एडीसी के कुत्ते की तबियत खराब हो गई थी। इसके बाद, पार्षदों के जाने के बाद एडीसी कार्यालय आईं।
3. पार्षदों से हाथ खड़े कराए
जब पार्षद दोबारा एडीसी से मिले, तो एडीसी ने स्पष्ट किया कि अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक बुलाना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उन्होंने बताया कि डीसी साहब ट्रेनिंग पर बाहर गए हैं और उनके आने पर ही कुछ हो सकेगा।
4. चेयरमैन को समय मिल गया
डीसी की छुट्टी और एडीसी द्वारा हाथ खड़े करने के बाद चेयरमैन को कुर्सी बचाने के लिए पूरा समय मिल गया। इस दौरान, चेयरमैन ने मंत्री रणबीर गंगवा और पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर से संपर्क किया और अपनी कुर्सी को बचाने के लिए कवायद शुरू कर दी।
चेयरमैन को हटाने के लिए 21 पार्षदों का समर्थन चाहिए
असल में, जिला परिषद चेयरमैन को हटाने के लिए 30 में से 21 पार्षदों का समर्थन चाहिए, जबकि कुर्सी बचाने के लिए चेयरमैन को 11 पार्षदों की जरूरत थी। चेयरमैन ने शुरू से दावा किया कि उनके पास 14 पार्षदों का समर्थन है, लेकिन एकजुट पार्षदों की संख्या 23 तक पहुंच गई, जिससे चेयरमैन का दावा कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा था। हालांकि, उनके करीबी यह दावा कर रहे हैं कि उन्हें कुछ कांग्रेस पार्षदों के अलावा 6 से 7 पार्षदों का समर्थन भी हासिल है।
कैसे मिली थी भाजपा चेयरमैन सोनू सिहाग को कुर्सी…
1. BJP ने मंत्री की ड्यूटी लगाई
हिसार जिला परिषद में चेयरमैन और वाइस चेयरमैन की कुर्सी कांग्रेस के समर्थन के बिना मिलना मुश्किल था, यह बात भाजपा को अच्छी तरह से समझ में आ गई थी। इसीलिए भाजपा ने पूर्व बिजली मंत्री रणजीत चौटाला की ड्यूटी लगाई। रणजीत चौटाला की पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ गहरी दोस्ती थी, और इसी दोस्ती का फायदा उठाते हुए सियासी रणनीति बनाई गई थी।
2. हुड्डा भी जजपा की कुर्सी नहीं चाहते थे
भूपेंद्र हुड्डा भी नहीं चाहते थे कि हिसार में जजपा का प्रभाव बढ़े। इस कारण से यह तय किया गया कि चेयरमैन भाजपा का बनेगा, जबकि वाइस चेयरमैन की कुर्सी कांग्रेस को दी जाएगी। इसके बाद वोटिंग हुई, और भाजपा को चेयरमैन तथा कांग्रेस को वाइस चेयरमैन की कुर्सी मिल गई।
3. कांग्रेस नेता का बयान
कांग्रेस नेता धर्मवीर गोयत ने इस सियासी गठबंधन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “रणजीत चौटाला ने हमें पैनल्टी कॉर्नर दिया और हमने गोल कर दिया।” उनका कहना था कि कांग्रेस चुपचाप इस स्थिति में रही ताकि भाजपा और जजपा के बीच कोई गठबंधन न हो जाए। कांग्रेस के पास कर्मकेश कुंडू, दिनेश श्योराण, सुदेश रानी और रीना बदावड़ जैसे पार्षद थे, जिनमें से रीना को वाइस चेयरपर्सन बना दिया गया।
इस सियासी समझौते के तहत, भाजपा ने चेयरमैन की कुर्सी हासिल की, जबकि कांग्रेस ने वाइस चेयरमैन की कुर्सी अपने पास रखी, और इस तरह भाजपा चेयरमैन सोनू सिहाग की कुर्सी सुरक्षित रही।