Haryana कृष्णलाल पंवार के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद हरियाणा में खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए 20 दिसंबर को चुनाव होना है। इसको लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भाजपा में इस सीट पर दावेदारी के लिए लॉबिंग जोरों पर है। भाजपा में कई वरिष्ठ नेताओं के नाम चर्चा में हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।

प्रत्याशी के नाम पर फैसला जल्द
हरियाणा की एक राज्यसभा सीट के लिए तीन दिसंबर को अधिसूचना जारी हो जाएगी। 10 दिसंबर को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख है। 11 दिसंबर को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी और 13 दिसंबर को नामांकन वापसी की अंतिम तिथि है। हालाकि, राज्यसभा का सांसद भाजपा का बनना तय है, अगर जरूरत पड़ी तो 20 दिसंबर को मतदान कराया जाएगा। राज्यसभा में भेजने के लिए उम्मीदवार के नाम की औपचारिक घोषणा भाजपा अगले तीन-चार दिनों में कर सकती है।
भाजपा के खाते में सीट जाना तय
90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 48 है, जिनके बल पर भाजपा अपने प्रत्याशी को आसानी से राज्यसभा भेज सकती है। तीन निर्दलीय विधायक भी भाजपा के साथ हैं।
बडौली को मिलेगा जीत का तोहफा!
मोहन लाल बड़ौली के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भाजपा ने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हांसिल की और प्रदेश में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई। बडौली को केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल का बेहद करीबी माना जाता है। साथ ही, पार्टी का ब्राह्मण चेहरा भी हैं। बड़ौली संगठन में लंबे और प्रभावशाली अनुभव वाले नेताओं में जाने जाते हैं।
संजय भाटिया भी दौड़ में शामिल
करनाल से पूर्व सांसद संजय भाटिया भी राज्यसभा की दौड़ में हैं। संजय भाटिया 2019 में सांसद बने थे, लेकिन 2024 में करनाल सीट से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के चुनाव लड़ने की वजह से पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया। वह विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें रैलियों के आयोजन की जिम्मेदारी दी। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से दी गई जिम्मेदारियों का सफल सफलतापूर्वक निर्वहन कर संजय भाटिया पार्टी की गुड लिस्ट में शामिल हो गए।
दुग्गल और कटारिया की भी दावेदारी
कृष्ण लाल पंवार दलित समुदाय से आते हैं। ऐसे में भाजपा राज्यसभा की खाली सीट को इसी समुदाय से आने वाली सुनीता दुग्गल से भर सकती है। इसी कड़ी में एक नाम सुरेश कटारिया का चल रहा है।
इस बार चलेगा जाट फैक्टर ?
अगर बात जातीय समीकरणों को साधने की करें तो हरियाणा में सत्ता और संगठन दोनों में गैर जाट नेता काबिज हैं। ऐसे में चर्चा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को भी चुनाव मैदान में उतारने की है, लेकिन राजनीति से जुड़े जानकार किरण चौधरी का हवाला देकर इस अटकल पर विराम लगा रहे हैं। इसी साल भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की बहू किरण चौधरी को राज्यसभा चुनाव लड़ाया था और उन्हें जीत भी मिली। किरण चौधरी जाट समुदाय से आती हैं।

सियासी जड़ें जमाने में कामयाब होंगे बिश्नोई ?
कुलदीप बिश्नोई भी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। हाल में लगातार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से उनकी मुलाकातों के मायने निकाले जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव में आमदपुर सीट से कुलदीप बिश्नोई के बेटे की हार से उनकी सियासत को जोर का झटका लगा है। सियासी जमीन में जड़ें जमाने के लिए बिश्नोई राज्यसभा के रास्ते दोबारा ताकत हासिल करना चाहते हैं। हालाकि बिश्नोई पिछले कुछ दिनों से अपने ही समाज की गुटबाजी का सामना कर रहे हैं।