समालखा से अशोक शर्मा की रिपोर्ट : अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन(All India Farm Workers Union) एवं अखिल भारतीय किसान सभा(All India Kisan Sabha) के संयुक्त तत्वावधान में समालखा उप मंडलीय परिसर(Samalkha Sub-Divisional Complex) में किसान मजदूर विरोधी केंद्रीय बजट के खिलाफ(against the Union Budget) धरना प्रदर्शन(Demonstration) आयोजित किया। धरना-प्रदर्शन की अध्यक्षता किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ सुरेंद्र मलिक और अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के जिला सचिव एडवोकेट दयानंद पंवार ने की।
अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राज्य संयुक्त सचिव राजेंद्र और किसान सभा के जिला सचिव राजपाल ने संयुक्त रूप से कहा कि प्रतिगामी व अर्थव्यवस्था में संकुचन लाने वाला बजट साबित होगा। बेरोजगारी के उच्च स्तर, उच्च खाद्य मुद्रास्फीति दर, असमानताओं में अभूतपूर्व वृद्धि और निजी निवेश में मंदी की आर्थिक वास्तविकताओं के संदर्भ में, बजट को आर्थिक गतिविधियों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था। इसके बजाय, इसके प्रस्ताव संकुचनकारी और प्रतिगामी हैं। यह केवल लोगों पर और अधिक दुख थोपेगा और निवेश और रोजगार सृजन के स्तर को कम करेगा। बजट के आंकड़े बताते हैं कि सरकार की राजस्व आय में 14.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि व्यय में केवल 5.94 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

इन राजस्वों का उपयोग आर्थिक गतिविधि के विस्तार के लिए करने के बजाय, इनका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय वित्त पूंजी को खुश करने के लिए राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किया गया है, जो सकल घरेलू उत्पाद के 5.8 प्रतिशत से घटा कर 4.9 प्रतिशत कर दिया गया है। बजट में अनुमानित जीडीपी गणना डेटा हेराफेरी का एक और प्रयास है। जीडीपी में नोमिनल वृद्धि 10.5 प्रतिशत अनुमानित है। वास्तविक जीडीपी में 6.5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है जिसको कोर सैक्टर की मुद्रास्फीति दर कै कम करके 3 प्रतिशत की दर से गणना की गई है। इसमें 9.4 प्रतिशत की उच्च खाद्य मुद्रास्फीति दर शामिल नहीं की गई है। इस प्रकार वास्तविक जीडीपी वृद्धि को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।
सब्सिडी में भारी कटौती
सरकारी खर्च को और कम करते हुए सब्सिडी में भारी कटौती की गई है। उर्वरक सब्सिडी में 24,884 करोड़ रुपये और खाद्य सब्सिडी में 7,082 करोड़ रुपये की कटौती की गई है। जीडीपी के प्रतिशत के रूप में शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास पर खर्च कमोबेश अपरिवर्तित रहता है, मनरेगा की उपेक्षा जारी है। बजटीय आवंटन 86,000 करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 23 में खर्च की गई राशि से कम है। हालांकि, इस वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों में 41500 करोड़ रुपये पहले ही खर्च हो चुके हैं, जिससे शेष आठ महीनों के लिए महज 44,500 करोड़ रुपये ही बचे हैं। जाहिर है, ग्रामीण भारत में गहरे बेरोजगारी संकट से निपटने के लिए यह पूरी तरह अपर्याप्त होगा।

बेरोजगारी के नाम पर नौटंकी
बेरोजगारी दूर करने के नाम पर बजट में नौटंकी की गई है। रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के रूप में पेश की गई नई योजना में औपचारिक क्षेत्र में नए नौकरी पाने वालों को जिनकी आय 1 लाख रुपये से कम है, एक महीने का वेतन देने का प्रावधान है। पात्र श्रमिकों को तीन मासिक किस्तों में अधिकतम 5,000 रुपये मिलेंगे। हालांकि, नियोक्ताओं को दो साल में हर अतिरिक्त नौकरी के लिए 24 मासिक किस्तों में 1 लाख रुपये तक के मासिक वेतन पर नियुक्त प्रत्येक नए कर्मचारी के लिए 72,000 रुपये का लाभ मिलेगा। यह नए रोजगार पैदा करने के नाम पर कॉरपोरेट को सब्सिडी देने का एक और तरीका है। इस तरह की नौटंकी से रोजगार पैदा नहीं हो सकता।
ये रहे मौजूद
कॉरपोरेट क्षेत्र द्वारा अतीत में कमाए गए भारी मुनाफे के बावजूद मशीनरी और उत्पादन में निवेश नहीं हुआ है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में मांग की कमी बनी हुई है, जो लोगों के बीच घटती क्रय शक्ति का परिणाम है। इस अवसर पर अखिल भारतीय खेत मजदूर राज्य व जिला संयुक्त सचिव राजेंद्र, जिला सचिव एडवोकेट दयानंद पंवार, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ सुरेंद्र मलिक, सचिव राजपाल, किसान सभा समालखा तहसील अध्यक्ष कंवर सिंह, शीशपाल शर्मा, सीता राम, एडवोकेट पंकज छौक्कर, सीटू राज्य सचिव सुनील दत्त, गुलाब सिंह आदि मौजूद रहे।