Faridabad सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले की सांस्कृतिक संध्या में शुक्रवार की शाम पंजाबी गायक जसबीर जस्सी ने अपने मस्ती भरे गीतों से समां बांध दिया। ‘कोका तेरा कुछ-कुछ कहंदा’, ‘दिल ले गई कुड़ी गुजरात दी’, ‘लोंग दा लश्कारा’ और ‘चन्ना वे घर आ जा वे’ जैसे सुपरहिट गानों पर देश-विदेश से आए पर्यटक झूम उठे। देर रात तक चले इस संगीतमय सफर में दर्शकों ने जस्सी के हर गाने पर खूब तालियां बजाईं और नाचे।
मेले के महा स्टेज पर आयोजित इस कार्यक्रम में हरियाणा पर्यटन निगम और कला एवं सांस्कृतिक विभाग की संयुक्त भागीदारी रही। कार्यक्रम में पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव कला रामचंद्रन, एमडी डॉ. सुनील कुमार और जीएम आशुतोष राजन भी मौजूद रहे।

जस्सी के सूफी रंग और पंजाबी धुनों ने बांधा समां
जसबीर जस्सी ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत सूफियाना गायकी से की। बुल्ले शाह और अमीर खुसरो के कलामों से उन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘तेरे इश्क नचाया कर थैया-थैया’ और ‘छाप तिलक सब छीनी रे मो से नैना मिलाई के’ जैसे सूफी गीतों के बाद उन्होंने अपने पंजाबी हिट्स से माहौल को पूरी तरह मस्ती में बदल दिया।

‘बल्ले-बल्ले नी टोर पंजाबन दी’, ‘मैं जट यमला पगला दीवाना’ और ‘एक गेड़ा गिद्दे विच होर नी कुड़िए’ जैसे गानों पर पूरा मेला झूम उठा। जस्सी ने हिंदी और हरियाणवी गानों से भी दर्शकों का दिल जीता।
जसबीर जस्सी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद कुमार शर्मा, और मेला प्राधिकरण का धन्यवाद करते हुए कहा कि सूरजकुंड मेला अब सिर्फ शिल्प नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक बन चुका है। उन्होंने इस मंच पर प्रस्तुति देना गर्व की बात बताई।

सूरजकुंड मेला: कला, संस्कृति और संगीत का संगम
38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला सिर्फ हस्तशिल्प और कारीगरी का मंच नहीं, बल्कि संगीत, नृत्य और संस्कृति का भव्य उत्सव भी बन चुका है। जसबीर जस्सी की प्रस्तुति ने इसे और यादगार बना दिया।