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Pangolin पर मंडराता खतरा : तस्कारी का बन रहे शिकार, RTI से हुआ चौंकाने वाला खुलासा

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 Noida पैंगोलिन के शिकार और तस्करी की घटनाएं बढ़ रही हैं। पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है। नोएडा के समाजसेवी रंजन तोमर द्वारा वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो में दाखिल की गई एक RTI से जो आंकड़े सामने आए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं।

शिकार और तस्करी के बढ़ते आंकड़े

RTI से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2019 से 2024 के बीच हजारों किलो पैंगोलिन स्केल्स जब्त किए गए। आंकड़ों से स्पष्ट है कि पैंगोलिन की तस्करी देशभर में तेजी से हो रही है।

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2019 में 136.53 किलो

2020 में 36.815 किलो

2021 में 184.212 किलो

2022 में 53.566 किलो

2023 में 53.925 किलो

2024 में 75.85 किलो

इन चार जगह सबसे ज्यादा शिकार

पैंगोलिन शिकार की घटनाओं में महाराष्ट्र, असम और मध्य प्रदेश सबसे आगे रहे हैं। 2020 में महाराष्ट्र, 2021-22 में असम और 2023 में मध्य प्रदेश में सबसे अधिक शिकार की घटनाएं दर्ज हुईं।

जीवित पैंगोलिन और गिरफ्तार शिकारी

RTI में यह भी बताया गया कि 2019-2023 के बीच कुल 85 जीवित पैंगोलिन बचाए गए, जबकि 464 शिकारी गिरफ्तार हुए। हालांकि, 2024 में अब तक न तो कोई जीवित पैंगोलिन बचाया गया है और न ही शिकारियों पर रोकथाम में कोई बड़ा प्रभाव पड़ा है।

तस्करी के पीछे का कारण

पैंगोलिन की स्केल्स और मांस अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेहद महंगे दामों पर बिकते हैं। इसके मांस की एक किलो की कीमत करीब ₹27,000 तक है, जो इसे तस्करों के लिए बेहद आकर्षक बनाता है। चीन और अन्य देशों में पारंपरिक दवाओं और एग्ज़ॉटिक भोजन में पैंगोलिन का उपयोग होता है, जिससे इसकी मांग बढ़ रही है।

पर्यावरण प्रेमियों में चिंता

पैंगोलिन, जिसे शल्कदार चींटीखोर भी कहा जाता है, पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह चींटियों और दीमकों को खाकर प्रकृति का संतुलन बनाए रखता है। इसके बावजूद लालच के चलते इसे विलुप्ति की कगार पर पहुंचा दिया गया है।

RTI कार्यकर्ता रंजन तोमर की अपील

समाजसेवी रंजन तोमर ने कहा कि वह केंद्र और राज्य सरकारों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की मांग करेंगे। उन्होंने कहा, “पैंगोलिन को बचाने के लिए ठोस नीतियां और कड़े कानून बनाने की जरूरत है। यह जीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अनमोल है और इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।”

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