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पहली बार खुला हिमाचल का यह बर्फीला पर्यटन स्वर्ग, सैर करनी तो पढ़ें पूरी खबर

देश विदेश हिमाचल प्रदेश

  • 78 साल बाद देशवासियों के लिए खोला गया शिपकिला दर्रा
  • खाब से आगे जाने के लिए जरूरी होगा आधार कार्ड
  • चीन सीमा तक पर्यटक अब सीधे पहुंच सकेंगे, लेकिन सिर्फ दिनभर की अनुमति

Shipkila Pass: हिमाचल प्रदेश में बर्फीला स्‍वर्ग आपको बुला रहा है। यह जन्‍नत किन्नौर जिले में स्थित शिपकिला दर्रा है, जिसे देश के आम नागरिकों के लिए खोल दिया गया है। यह ऐतिहासिक और रणनीतिक दर्रा आजादी के बाद पहली बार आम पर्यटकों के लिए खोला गया है। आज प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पर्यटकों का स्वागत कर इस दर्रे को देश को एक नए पर्यटन स्थल के रूप में समर्पित किया।

अब तक यह क्षेत्र सिर्फ सेना और ITBP के जवानों तक ही सीमित था, लेकिन अब आम लोग भी यहां की सफेद बर्फीली वादियों, नदियों के संगम और सीमा पार दिखने वाले चीनी गांवों को अपनी आंखों से देख सकेंगे। पर्यटकों को खाब में स्थित ITBP चेक पोस्ट पर आधार कार्ड दिखाकर ही आगे जाने की अनुमति मिलेगी। आए पढ़ें आप कैसे पहुंच सकते हैं यहां………………………..


शिपकिला की यात्रा कैसी होगी? यहां 4 बिंदुओं में समझें

  1. 12 महीने खुला नहीं रहेगा दर्रा: शिपकिला दर्रा समुद्र तल से 12,893 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। सर्दियों में बर्फबारी के चलते यह क्षेत्र 15 नवंबर से लेकर 15 अप्रैल तक बंद रहेगा।
  2. सफर की दूरी और समय: चंडीगढ़ से खाब की दूरी 378 किलोमीटर है, जिसे तय करने में करीब 10 घंटे 15 मिनट का समय लगेगा। खाब के बाद शिपकिला दर्रे तक की 32 किमी पहाड़ी सड़क है।
  3. रात को ठहरने की अनुमति नहीं: शिपकिला में कोई आबादी नहीं है और होटल या होम-स्टे की सुविधा भी नहीं है। पर्यटकों को सुबह जाकर शाम तक लौटना अनिवार्य होगा।
  4. प्रति दिन 300 पर्यटक ही जा सकेंगे: सिंगल लेन सड़क होने के कारण फिलहाल रोजाना 250-300 पर्यटकों को ही जाने की अनुमति दी गई है। ज्यादा वाहन भेजने की अभी इजाजत नहीं।

शिपकिला कैसे पहुंचें?

  • पहला चरण: देशभर के पर्यटक पहले चंडीगढ़ या शिमला पहुंचें।
  • दूसरा चरण: यहां से एनएच-5 पर सफर करते हुए किन्नौर और फिर खाब तक जाएं।
  • तीसरा चरण: खाब से लिंक रोड के जरिए शिपकिला तक टैक्सी या निजी वाहन से जाया जा सकता है।

क्या-क्या देख सकेंगे पर्यटक?

  • चीन का शिपकी गांव, जो 1962 से पहले भारत में था
  • सतलुज और स्पीति नदी का संगम (खाब)
  • नाको गांव की प्रसिद्ध झील और बौद्ध मॉनेस्ट्री
  • चांगो, पूह, काजा जैसे क्षेत्रीय स्थल
  • सीमा पर चीन द्वारा बनाई गई सड़क

विदेशी पर्यटकों के लिए अभी बंद

फिलहाल केवल भारतीय नागरिकों को ही शिपकिला दर्रा पर जाने की अनुमति दी गई है। विदेशियों को अभी यहां यात्रा की इजाजत नहीं है। केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार यहां पर केवल आधार कार्ड रखने वाले भारतीय ही प्रवेश कर सकते हैं।

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इतिहास में झांकें: शिपकिला का महत्व

  • ब्रिटिश काल से पहले यह भारत-चीन के बीच व्यापारिक रास्ता था।
  • इसे “इंडिया का सिल्क रूट” कहा जाता था।
  • 1962 में चीन युद्ध के बाद यह मार्ग पूरी तरह बंद कर दिया गया था।
  • 1993 में व्यापारिक रूप में कुछ हद तक दोबारा खुला, लेकिन आम पर्यटकों के लिए यह दर्रा बंद ही रहा।

राज्य के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि शिपकिला दर्रे को खोलने से न केवल क्षेत्रीय पर्यटन को बल मिलेगा, बल्कि बॉर्डर एरिया से हो रहे पलायन पर भी लगाम लगेगी। यहां पर होटल, टैक्सी, लोकल गाइड, हस्तशिल्प और खानपान के क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा।