हरियाणा के सोनीपत में 400 वर्ष पुराने ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर में आस्था का जन सैलाब उमड़ा। सावन के महीने में शिवरात्रि के पर्व को लेकर लाखों लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र में जल अभिषेक किया है। भक्त भोले बाबा के दरबार में पहुंचकर लगातार जल अभिषेक कर रहे हैं।
मान्यता है कि इस ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर में पहुंच कर पांडवों ने भी यहां पर पूजा पाठ की थी। वहीं दूसरी मान्यता यह भी है कि श्रवण कुमार ने पहली बार यहां कांवड़ लाकर जल अभिषेक किया था। तब से यहां पर कावड़ लाने की प्राचीन मान्यता है।
शिवरात्रि के दिन शिवलिंग के रुप में प्रकट होते है शंकर

सावन का महीना श्रद्धालुओं के लिए हर्ष और उल्लास के लिए होता है। ऐसे में श्रद्धालु अपने आराध्य देव भोले के दरबार में पहुंचकर जल अभिषेक करते हैं। रात से ही शिव भक्तों द्वारा ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर शंभू दयाल में पहुंचकर जल अभिषेक किया है।
शास्त्रों में सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। जो श्रद्धालु सच्चे मन से व्रत रखकर भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके सभी मनोरथ पूर्ण होती हैं।
रात 12 बजे के बाद जिलाभिषेक हो गया था शुरु
वहीं जिलाभर के शिवालय बम व हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज रहे हैं। तड़के 3 बजकर 46 मिनट पर शिवलिंग पर जलाभिषेक प्रारंभ हो गया था। हरिद्वार, गंगोत्री व गोमुख से कांवड़ लाने वाले शिव भक्त शिवालय की ओर पहुंचने लगे थे। माना जाता है शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए यह दिन भोलेनाथ के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

जो श्रद्धालु इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना करते हैं, उन पर सदैव भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है। वहीं ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर संभूदल के पुजारी ने बताया कि यह काफी प्राचीन मंदिर है और यहां पर श्रवण कुमार ने पहली बार कावड़ लाकर जल अभिषेक किया था।
तब से यहां प्राचीन मान्यता है और तभी से यहां पर काफी संख्या में श्रद्धालु कावड़ लाकर जल अभिषेक करते हैं। पुजारी ने यह भी कहा है कि जो लोग घरों में पूजा करना चाहते हैं वह मिट्टी से शिवलिंग बनाए और सच्चे मन के ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए पूजा करें। ऐसे में पूजा सफल होगी।
इन उपाय से जीवन में आएगी सुख-समृद्धि
-मोक्ष प्राप्ति के लिए तीर्थ के जल से, संतान सुख के लिए गाय के दूध से जलाभिषेक करें।
-ज्ञान प्राप्ति के लिए शक्कर व तपेदिक दूर करने शहद से जलाभिषेक करें।
-मनोकामना पूर्ति व सुख-समृद्धि के लिए पंचामृत से जलाभिषेक करें।
-रोगों से मुक्ति पाने के लिए जलाभिषेक से एकत्रित जल का घर में छिड़काव करें।

-असाध्य रोगों से मुक्ति पाने के लिए इत्र के जल से शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
-भूमि व मकान के लिए दही, धन प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से जलाभिषेक करें।
-धन वृद्धि की कामना के लिए शहद व घी और ज्वर शांति के लिए गंगाजल से जलाभिषेक करें।