दुनिया का छठा सबसे बड़ा भूकंप रूस में 8.8 तीव्रता का भूकंप सुनामी ने मचाई तबाही 1

दुनिया का छठा सबसे बड़ा भूकंप: रूस में 8.8 तीव्रता का भूकंप, सुनामी ने मचाई तबाही

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➤ रूस के कामचटका में आया 8.8 तीव्रता का भूकंप
➤ 4 मीटर ऊंची सुनामी लहरों ने मचाई तबाही
➤ जापान ने फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर कराया खाली


रूस के कामचटका प्रायद्वीप में बुधवार तड़के आए भूकंप ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र को हिला कर रख दिया। US जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, यह भूकंप 8.8 तीव्रता का था, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े भूकंपों में छठवें स्थान पर रखता है। इसका केंद्र जमीन से लगभग 19.3 किलोमीटर की गहराई में था, लेकिन सतह पर इसका प्रभाव बेहद भयावह रहा। भूकंप के साथ ही समुद्र में लगभग 4 मीटर ऊंची सुनामी लहरें उठीं, जिनसे रूस के कामचटका क्षेत्र में कई इमारतों और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है।

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कामचटका के गवर्नर व्लादिमीर सोलोदोव ने इस आपदा को दशकों में सबसे शक्तिशाली भूकंप करार दिया और बताया कि एक किंडरगार्टन स्कूल की इमारत को गंभीर क्षति पहुंची है। स्थानीय प्रशासन ने हालात की गंभीरता को देखते हुए अलर्ट घोषित कर दिया है। भूकंप के झटकों से कारें, घर और सार्वजनिक ढांचे कांप उठे, कई जगह घरों की छतें भी गिरती देखी गईं।

भूकंप के असर से जापान भी अछूता नहीं रहा। NHK टेलीविजन की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान के पूर्वी तट पर एक फुट ऊंची सुनामी लहरें पहुंची हैं। स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को खाली करा लिया गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

इस विशाल भूकंप के दूरगामी प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। AFP के अनुसार, पेरू और इक्वाडोर के गैलापागोस द्वीपों में भी सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। इन क्षेत्रों में एहतियात के तौर पर कुछ इलाकों से लोगों को हटाया जा रहा है। वहीं, पूर्वी चीन के तटीय क्षेत्रों में भी लहरों के पहुंचने की आशंका जताई जा रही है, जहां प्रशासन को चौकसी बरतने और नजर बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।

कामचटका में लोगों ने बताया कि झटकों के बाद घरों के अंदर रखा सामान हिलने लगा, और कुछ जगह दीवारें भी दरक गईं। कारों के हिलने, दरवाजों के खुद-ब-खुद खुलने और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के गिरने की घटनाएं सामने आई हैं। सोशल मीडिया और स्थानीय चैनलों पर आए वीडियो फुटेज में उत्तरी कुरील द्वीप में घरों की छतें गिरती देखी जा सकती हैं।

इस आपदा ने फिर से याद दिलाया है कि प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ पर बसे देशों के लिए भूकंप और सुनामी हमेशा एक संभावित खतरा बने रहते हैं।