Chaitra Navratri 2024

Dharm-Karm : हरियाणा में गुफा में सजाया मां का दरबार, चैत्र नवरात्रि के 5वें दिन श्रद्धालुओं ने की स्कंदमाता की पूजा, जानिए महत्व

धर्म सोनीपत

Dharm-Karm : मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने के लिए नवरात्रि पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में जो पूरे श्रद्धा भाव से मां के नौ रूपों की पूजा-अराधना करता है, उसे चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के 5वें दिन श्रद्धालुओं ने मंदिर में पहुंचकर स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की और आशीर्वाद लिया। ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की आराधना करने से साधक को बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।

हरियाणा के जिला सोनीपत के कामी रोड पर स्थित बाबा धाम मंदिर में माता का दरबार गुफा में सजाया गया है। माता के इस मंदिर में दूरदराज से लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं। इस दौरान मंदिर के पुजारी ने बताया कि सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। प्रत्येक साल में दो बार नवरात्रे आते हैं। पहले नवरात्रे चैत्र मास के दौरान मनाए जाते हैं, जिन्हें चैत्र नवरात्र भी कहा जाता है। वहीं दूसरे नवरात्र आश्विन मास में मनाए जाते हैं, जिन्हें शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। आज नवरात्र के 5वें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जा रही है। ऐसा माना जाता है कि 5वें दिन स्कंद माता को प्रसन्न करने के लिए स्नान आदि कर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा के दौरान हाथ में लाल पुष्प लेकर देवी स्कंदमाता के चरणों में अर्पित कर मनोकामना मांगनी चाहिए।

बाबा धाम

पुजारी ने बताया कि माता के दरबार में पूजा के लिए अक्षत, पताशा, पान, सुपारी, लौंग, धूप और लाल फूल आदि अर्पित करने से माता प्रसन्न होती है। मां स्कंदमाता को केले या केले से बनी चीजों जैसे केले के हलवे का भी भोग लगा सकते हैं। पूजा के अंत में माता की आरती कर मंत्रों का जाप करने से माता मनोकामना पूर्ण करती है। उन्होंने बताया कि चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल को हुई है। नवरात्रि के 5वें दिन की अधिष्ठात्री देवी स्कंदमाता हैं, क्योंकि यह स्कंद या कार्तिकेय की माता हैं। इनकी प्रतिमा में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) इनके गोद में विराजमान हैं। इस दिन योगी का मन विशुद्ध चक्र में स्थित होता है।

पुजारी ने बताया कि इस चक्र में अवस्थित होने पर समस्त लौकिक बंधनों से मुक्ति मिलती है। जो देवी स्कंदमाता में अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर सकता है, वह निरंतर उपासना में ही डूबा रहता है। जब देवासुर संग्राम हुआ था, तब यह देवताओं के सेनापति थे। स्कंद माता के दाहिने हाथ में निचली भुजा में कमल का फूल है। बाएं हाथ में वर मुद्रा धारण कर रखा है, जो शुभ वर्ण की हैं। उन्होंने बताया कि मां दुर्गा का यह स्वरूप सब भक्तों की इच्छाएं पूर्ण करता है। उनकी भक्ति से हम इस लोक में सुख का अनुभव करते हैं।

बाबा धाम 2

उन्होंने बताया कि मां स्कंदमाता की आधारना करने से सभी दरवाजे खुल जाते हैं। इनके पूजन के साथ कार्तिकेय का भी पूजन हो जाता है। सौर मंडल की देवी होने के कारण यह संपूर्ण तेज से युक्त हैं। देवी पुराण के अनुसार आज के दिन 5 कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। महिलाओं को हरे या पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। इस दौरान दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने कहा कि वह पिछले लंबे समय से यहां पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं। मां के दरबार में पूजा करने से उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *