Shock to electricity consumers

Haryana में विधानसभा चुनाव से पहले बिजली उपभोक्ताओं को झटका, FSA रहेगा जारी

बड़ी ख़बर हरियाणा

Haryana में अक्टूबर में संभावित विधानसभा चुनाव(assembly election) से पहले बिजली उपभोक्ताओं(electricity consumers) के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। जिसमें बिजली विभाग ने दिसंबर 2024 तक 47 पैसे प्रति यूनिट का फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट(FSA) जारी रखने का फैसला किया है। यह FSA पहले 1 अप्रैल 2023 से 30 जून 2024 तक लागू था, लेकिन अब इसे और भी बढ़ा दिया गया है। इसका असर गैर-कृषि उपभोक्ताओं और उन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जो 200 यूनिट प्रति माह से कम बिजली का उपयोग करते हैं।

फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट (FSA) एक अतिरिक्त शुल्क है जो बिजली वितरण कंपनियों द्वारा वसूला जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य उन अतिरिक्त खर्चों को कवर करना है जो कंपनियों को अल्पकालीन समझौतों के माध्यम से बिजली की आपूर्ति करने में होते हैं। यह शुल्क विद्युत वितरण कंपनियों को उनके खर्चों की भरपाई करने में मदद करता है। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) ने कहा है कि दिसंबर 2024 तक 47 पैसे प्रति यूनिट का FSA जारी रहेगा।

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इसका मतलब है कि हरियाणा के उपभोक्ताओं को अब हर महीने अपने बिजली बिल में लगभग 100 रुपए अधिक देने होंगे। उदाहरण के लिए, यदि आपका मासिक बिल 200 यूनिट आता है, तो प्रत्येक यूनिट पर 47 पैसे जुड़ जाएंगे, जिससे आपके बिल में 94 रुपए का इजाफा होगा। इसी तरह, यदि आपका बिल 400 यूनिट आता है, तो आपको 188 रुपए अतिरिक्त देने होंगे।

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सरकार की ओर से राहत

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बिजली उपभोक्ताओं को राहत दी थी। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के एक फैसले को लागू किया, जिसमें 2 किलोवाट तक के घरेलू कनेक्टेड लोड वाली टैरिफ श्रेणी-1 के उपभोक्ताओं पर 115 रुपए न्यूनतम मासिक शुल्क(MMC) न लगाने का निर्णय लिया गया था। इस फैसले के बाद उपभोक्ता केवल अपनी उपयोग की गई यूनिट के हिसाब से ही बिल भर रहे हैं। इससे प्रदेश के सबसे गरीब परिवारों को लगभग 180 करोड़ रुपए की राहत मिली है और करीब 9.5 लाख गरीब परिवारों को फायदा हुआ है।

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उपभोक्ताओं की प्रतिक्रियाएं

बिजली उपभोक्ताओं ने FSA बढ़ाने के फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ लोग इसे अनुचित मान रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि अन्य लोगों का मानना है कि बिजली वितरण कंपनियों के खर्चों को कवर करने के लिए यह जरूरी है। हालांकि, अधिकांश उपभोक्ता इस बढ़ते हुए शुल्क से परेशान हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस पर पुनर्विचार करेगी।

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