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Cinema Stories : जब राज कपूर को अंधविश्वास पर हो गया था विश्वास

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Cinema Stories : भारतीय सिनेमा के स्वर्णयुगीन फिल्मकार और शो-मैन राज कपूर ने बॉलीवुड में कई यादगार फिल्में दी है। उन्होंने करीब चार दशक तक बॉलीवुड इंडस्ट्री पर राज किया था। बाल कलाकार के रुप में उन्होंने महज ग्यारह साल की उम्र में फिल्म वाल्मीकि में अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ काम किया था।

राज कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री को श्री 420, आवारा, संगम बॉबी और सत्यम शिवम सुन्दरम जैसी कई फिल्में दी है। बाइस साल की उम्र में उन्होंने पहली फिल्म आग बनाकर सिनेमा प्रेमियो का दिल जीत लिया था। उनकी फिल्मों की वजह से ही हिन्दी सिमेमा ने अपनी सीमाओं को लांघते हुए विदेशी जमीन पर पैर फैलाए थे।

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एक अच्छा एक्टर होने के साथ-साथ वो एक फिल्मकार भी थे। वो अभिनय, निर्देशन, निर्माण के अलावा कहानी, पटकथा, संपादन, गीत, संगीत में भी अपनी रुचि रखते थे। कहा जाए तो वो मल्टी टैलेंटेड एक्टर थे। और आज हम उनकी फिल्मों के बारें में नहीं बल्कि उनके गानों के हिट होने की वजह के बारे में बताने जा रहे है। उनके गाने आज भी लोगों के जुबान पर रहते है और कई बार लोगों को गुनगुनाते हुए भी सुना जा सकता है।

लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि उनके हिट गानों की वजह किन्नर हुआ करते थे। यानि की एक अंधविश्वास जुड़ी होता था। साल 1978 में फिल्म सत्यम-शिवम- सुंदरम रिलीज हुई। फिल्म के रिलीज से पहले राजकपूर इतने अंधविश्वासी हो गए थे कि अपने इसी धार्मिक विश्वास के कारण उन्होंने किसी के कहने पर शराब छोड़ दी थी और मांसाहारी भोजन करना भी त्याग दिया था। फिल्म में जीनत अमान शशि कपूर लीड रोल में थे। बतां दे कि राजकपूर धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे।

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वो खुद को एक रूढीवादी सोच के शिकार मानते थे। और रही बात उनके गानों की कि तो वो अपनी फिल्मों के गानों के लिए किन्नरो से सलाह-मशवरा किया करते थे। उन दिनों राज कपूर की पार्टिया बॉलीवूड में काफी चर्चा का विषय हुआ करती थी। उनके घर पर आए दिन कई पार्टिया हुआ करती थी, जिनमें सबसे ज्यादा मशहूर होली की पार्टी होती थी।

होली वाले दिन पूरा बॉलीवुड राज कपूर की पार्टी में शामिल हो जाता था। ये बात आप शायद ही जानते होंगे कि आर के स्टूडियों में होने वाली पार्टी में किन्नरों को खासतौर पर न्यौता दिया जाता था। उस पार्टी में किन्नर जमकर नाचते और गाते थेष उस दौरान राज कपूर अपनी फिल्मों के गाने सुनाया करते थे। अगर गाना किन्नरों को पसंद नहीं आता था तो वो उस गाने को रिजेक्ट कर देते थे।

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गानों को लेकर एक ऐसा ही किस्सा फिल्म राम तेरी गंगा मैली  के साथ जुड़ा है। उस फिल्म का गाना राज कपूर ने किन्नरों को सुनाया, तो किन्नरों ने गाने को सुनते ही रिजेक्ट कर दिया। फिर इस फिल्म के लिए दूसरे गाने बनाने की सलाह दी। जिसके बाद संगीतकार रविन्द्र द्वारा गाना सुन साहिबा सुन बनाया गया, जिसे सुनकर किन्नर खुश हो गए। और देखिए इस फिल्म के गानों ने लोगों के दिलों दिमाग पर अपनी छाप छोड़ दी है। लोगों की जुबान पर ये गाने रहते है और अक्सर गुनगुनाते दिखाई दे जाते है।

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