Bhiwani

Bhiwani में सर्व कर्मचारी संघ की बैठक का हुआ आयोजन, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

भिवानी

Bhiwani: विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव में है। ऐसे में एक तरफ जहां विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों द्वारा अपनी ऐडी-चोटी को जोर लगाकर जनता को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है तो दूसरी तरफ आमजन भी राजनीतिक दलों के लोगों के समक्ष अपनी विभिन्न मांग व मुद्दे रख रहे हैं, ताकि आने वाले पांच वर्षो में उन्हें फिर से हकमारी ना झेलनी पड़े।

इसी बीच अब कर्मचारी भी अपने अधिकारों को लेकर एकजुट हो गए है तथा उन्होंने ऐलान किया है जो भी राजनीतिक दल कर्मचारियों के हितों एवं अधिकारों को उन्हें देने का भरोसा दिलाएगा कर्मचारी उसी के पक्ष में मतदान करेगा। इसी कड़ी में आज भिवानी के सर्व कर्मचारी संघ के बैनर तले विभिन्न के कर्मचारियों की एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में रिटायर्ड कर्मचारी संगठन भी शािमल हुए। जिसमें कर्मचारियों ने अपने भविष्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। इसके उपरांत सकसं ने एक पत्रकार वार्ता को भी संबोधित किया।

भर्तियां नहीं की जा रही

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए सकसं के प्रांतीय प्रधान धर्मबीर फौगाट ने बताया कि बैठक में कर्मचारियों ने राजनीतिक पार्टियों के चुनावी घोषण पत्र पर चर्चा की। भाजपा सरकार लगातार बड़ी तेजी से महकमों का निजीकरण कर रही है। सरकारी महकमों में दो लाख पद खाली पड़े है, भर्तियां नहीं की जा रही। उल्टा एचकेआरएम लागू कर परमानेंट ठेका प्रथा को लागू कर दिया है। पिछले लंबे अरसे से विभिन्न विभागों में काम कर रहे कच्चे कर्मियों को पक्का नहीं किया गया। पुरानी पेंशन समाप्त कर ओपीएस लागू कर दिया और अब उसका नाम बदलकर भी यूपीएस कर दिया।

सरकारी कर्मियों की पेंशन को शेयर बाजार के हवाले कर दिया

सरकारी कर्मियों की पेंशन को शेयर बाजार के हवाले कर दिया है। इसके साथ ही आठवें वेतन आयोग का भी गठन नहीं किया गया और ना ही वेतन विसंगतियों को दूर किया गया। भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले कर्मियों के साथ जो वायदे किए थे उनमें एक का भी पूरा नहीं किया गया। जिसके चलते सरकार की रीढ़ होने के बावजूद भी कर्मचारियों को अपने हकों के लिए हमेशा संघर्षरत्त रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पिछले 10 वर्षो से भाजपा की सरकार है तथा कर्मियों का जमकर शोषण किया गया। फौगाट ने कहा कि अब कर्मचारी अपने हक व अधिकारों को लेकर एकजुट हो चुका है तथा विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को अपने मांगपत्र भी सौंपे गए है। वर्षो से संघर्षरत्त कर्मचारी अब वोट की चोट कर हिसाब चुकता करेगा।

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