Copy of SC OBC छात्रों को मिलेगा पूरा स्कॉलरशिप पढ़ाई की चिंता खत्म

57 शिकायतों के बाद हरकत में शिक्षा विभाग, जांच के लिए HCS अधिकारियों की एक विशेष कमेटी गठित

हरियाणा Education
  • निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर 57 शिकायतें, महंगी किताबें और मान्यता न होने जैसे आरोप
  • फ्री किताबों की सप्लाई में देरी, 65% छात्रों को ही मिलीं अब तक किताबें
  • अगले सत्र की तैयारी पहले से, सितंबर में पाठ्यक्रम तय कर निविदा दिसंबर में जारी करने की योजना

Private Schools Haryana: हरियाणा में निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के तमाम सरकारी दावों के बावजूद अभिभावकों की जेब पर डाका डालने का सिलसिला जारी है। राज्यभर से शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों और पुस्तक विक्रेताओं के बीच सांठगांठ को लेकर अब तक 57 शिकायतें मिली हैं। इन शिकायतों में महंगी किताबें बेचने के साथ-साथ गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों का संचालन, खराब बुनियादी ढांचे और अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।

इन सब पर नियंत्रण और जांच के लिए शिक्षा विभाग ने HCS अधिकारियों की एक विशेष कमेटी गठित की है, जो जिलों का दौरा कर सभी शिकायतों की समीक्षा करेगी और अपनी रिपोर्ट शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा को सौंपेगी। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह कमेटी जमीनी स्तर पर जाकर स्कूलों के हालात की रिपोर्ट बनाएगी और आवश्यक कदम सुझाएगी।

इसी बीच, सरकारी स्कूलों में फ्री किताबों की डिलीवरी को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत को दो सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक केवल 65% छात्रों को ही किताबें मिल पाई हैं। सरकार द्वारा वितरित की जाने वाली 7.7 लाख किताबों में से सिर्फ 5 लाख ही 12 अप्रैल तक पहुंच सकीं।

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मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के हस्तक्षेप के बावजूद किताबें समय पर नहीं पहुंच पाईं, जिससे अभिभावकों और शिक्षकों के बीच नाराजगी है। दो साल पहले भी जुलाई तक किताबें मिली थीं, जिससे पढ़ाई प्रभावित हुई थी। इस अनुभव से सबक लेते हुए सरकार ने इस बार सितंबर में ही पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देने और दिसंबर तक निविदाएं जारी करने की योजना बनाई थी।

शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस साल सिर्फ एक ही पब्लिशर ने सबसे कम दर पर बोली लगाई, जिसके चलते एकल-विक्रेता अनुबंध किया गया और वितरण में देरी हुई। अधिकारी ने कहा कि अगली बार दो या तीन पब्लिशर्स को ठेका देने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिससे समान रूप से काम बांटा जा सके और देरी न हो।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने भी डिलीवरी में हुई देरी को स्वीकारा। उन्होंने कहा, “ऐसे सत्र भी रहे हैं जब छात्रों को अगस्त तक किताबें मिल पाई थीं। हालांकि इस बार हमने तेजी से काम किया और अब सिस्टम तैयार हैं। हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी देरी दोबारा न हो।”

उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार NCERT किताबें लागू करने के लिए निजी स्कूलों पर दबाव नहीं बना सकती, लेकिन एक ही दुकान से किताबें खरीदने की मजबूरी से राहत दिलाने के लिए सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। आने वाले सत्र में तैयारी पहले से की जाएगी ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके।