हियरिंग लॉस यानी आवाज सुनने की क्षमता का कम हो जाना। कई बार अचानक से किसी दिन आपको कम सुनाई देने लगे या फिर कान बिल्कुल ही बंद हो जाएं, या फिर शोरगुल के बीच समझने में दिक्कत आए, तो यह हियरिंग लॉस का ही संकेत है।
इसी को लेकर नागरिक अस्पताल में जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें बहरेपन से बचाव के बारे में जानकारी दी गई।
बहरेपन के कारण
सेमिनार में डॉ. अरविंद ने कहा कि बहरेपन के छह कारण हैं, इनमें कान में मैल, चोट, ओटोटोक्सिक दवाइयां, ज्यादा शोर, रूबैला, कान का संक्रमण शामिल है। बहरापन सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है।
बहरेपन से बचाव के उपाय
बहरेपन से बचाव के लिए तेज शोर से बचें, संगीत समारोह और अन्य कार्यक्रमों में इयरप्लग का उपयोग करें। किशोरी बालिकाओं का रुबैला टीकाकरण करवाएं, कान के अंदर कुछ भी नही डालें, नियमित रूप से सुनने की जांच करवाएं।
डॉ. बृजेंद्र घणघस ने कहा कि जो नवजात शिशु मूक बधिर होते हैं तो ऐसे बच्चों का इलाज पांच वर्ष तक संभव है। यदि समय रहते ऐसे बच्चों को उपचार मिल जाए तो उन्हें मूक बधिर होने से बचाया जा सकता है। जिन बच्चों को जन्मजात कान नहीं होते तो उनका प्लास्टिक सर्जरी से इलाज संभव है।
युवा भी हो रहे बहरेपन का शिकार
ऑडियोलोजिस्ट व स्पीच थैरेपिस्ट अपूर्वा शर्मा ने बताया कि आजकल युवाओं में भी बहरेपन के काफी केस सामने आ रहे हैं। आजकल ट्रेंड के चलते जिम में तेज आवाज में डीजे गाने बजाए जाते हैं। जिस कारण बहरेपन का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।