Haryana के मुख्यमंत्री नायब सैनी(CM Naib Saini) ने जमीनों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। उन्होंने राज्य के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसके अनुसार 10 से 20% तक कलेक्टर रेट में वृद्धि की जानी थी। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अब हरियाणा में जमीनों की रजिस्ट्री(Registration of land) पुराने कलेक्टर रेट(old collector rate) पर ही होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी अपने कार्यकाल में इस मुद्दे पर ध्यान दिया था। उन्होंने दिशा दी थी कि सभी जिलों में मार्केट वैल्यू का ठीक से आकलन किया जाना चाहिए पहले कलेक्टर रेट में कोई वृद्धि की जाए। उनका मानना था कि कई जिलों में ऐसी भूमि है जिनका मार्केट वैल्यू बहुत अधिक होता है, लेकिन कलेक्टर रेट इससे कम निर्धारित होता है, जिससे सरकार को बड़ा राजस्व का नुकसान होता है।
इस विषय पर नए प्रस्ताव को लेकर जिला प्रशासन से पहले विशेष मार्केट रिसर्च की जाती है। उसके बाद वैल्यू कमेटी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है और फिर निर्धारित होता है कि क्या कलेक्टर रेट में कोई बदलाव किया जाए। यह फैसला लेने की अंतिम स्वतंत्रता राज्य सरकार को होती है।
रिवाइज्ड कलेक्टर रेट लागू नहीं हो पाए
अप्रैल में रिवाइज्ड रेट लागू होने की अमतैतरीकी होती है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लगी थी और इसके कारण रिवाइज्ड कलेक्टर रेट लागू नहीं हो पाए। आचार संहिता हटने के बाद जिला प्रशासन ने फिर से राज्य को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे मना कर दिया था।
खरीद-बिक्री के लिए बहुत महत्वपूर्ण
कलेक्टर रेट हरियाणा में जमीन की खरीद-बिक्री के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह रेट प्रति वर्ष निर्धारित किया जाता है और इसमें बड़ी गोलमाल और विवाद होते थे, लेकिन अब इस पर रोक लगा दी गई है और जमीन की रजिस्ट्री इस रेट पर ही होती है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने कार्यकाल में एक समान पद्धति बनाने का भी आदेश दिया था, जिससे राज्य में इस मुद्दे पर समानता बनी।