राजस्थान के मेवात क्षेत्र में दहेज जैसी कुप्रथा से लड़ाई का एक नया संदेश मिला है। नूंह जिले के गांव ख्वाजली कलां के पूर्व सरपंच पहलू खां ने अपनी पोती की शादी में बिना दहेज के समाज में एक मिसाल पेश की है।
बता दें कि इस अनूठे कदम ने उन्हें गांव में चर्चा का विषय बना दिया है। पहलू खां ने बताया कि उन्होंने अपनी पोती की शादी बीएससी पास साजिद खान से की है, जो कि दहेज के बिना हुई है। उनके सोहाग्य के पिता मौलाना सम्मा हर साल गरीब लोगों की मदद करते हैं और गरीब बहन-बेटियों की शादियां कराते हैं। पहलू खां ने बताया कि उन्होंने अपनी पोती को दहेज के बजाय एक रुपये के साथ ही विदा किया है। उन्होंने कहा कि दहेज कुप्रथा अत्याचार को बढ़ावा देती है और इसे खत्म करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि दहेज के बजाय उस धन को बेटी या बेटे की शिक्षा में लगाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि दूल्हा पक्ष के लोगों ने इस नए कदम का स्वागत किया है। वे कहते हैं कि बहू का पढ़ाई और लिखाई महत्वपूर्ण है और इससे बड़े दहेज की कोई जरूरत नहीं है। गांव के लोगों के बीच ख्वाजली कलां के पूर्व सरपंच की इस पहल की सराहना हो रही है। इसके जरिए वे सामाजिक बदलाव को गति दे रहे हैं और दहेज के खिलाफ लड़ाई में एक नई उम्मीद का पैगाम दे रहे हैं।

