रोहतक के साई स्पोर्ट्स सेंटर में महिलाओं के खेल से जुड़े मुद्दों पर पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान Rani Rampal ने शिरकत की। उन्होंने महिला खिलाड़ियों की चुनौतियों और खेलों के प्रति समाज के नजरिए पर अपनी राय रखी।
रानी रामपाल ने कहा कि यदि हॉकी खिलाड़ियों को भी क्रिकेट की तरह मान-सम्मान मिले, तो यह उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेगा। उन्होंने बताया कि आज पुरुष और महिला हॉकी टीमें अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन हॉकी को वह स्थान नहीं मिल रहा, जो उसे मिलना चाहिए।
कॉमनवेल्थ से खेलों को बाहर करने का विरोध
कॉमनवेल्थ गेम्स में हॉकी जैसे खेलों को शामिल न करने के फैसले पर उन्होंने निराशा जताई। उन्होंने कहा कि यह खिलाड़ियों के साथ अन्याय है। रानी ने बताया कि वह खुद 2002 के कॉमनवेल्थ खेलों को देखकर प्रेरित हुई थीं और यह मंच नई प्रतिभाओं को सामने लाने में अहम भूमिका निभाता है।
महिला हॉकी लीग को सराहा
रानी ने महिला हॉकी लीग के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे नई प्रतिभाएं सामने आती हैं और खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन के अवसर मिलते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि महिला खिलाड़ियों की हौसलाअफजाई के लिए ऐसी लीग्स का विस्तार होना चाहिए।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी खिलाओ का असर
हरियाणा में बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की तारीफ करते हुए रानी ने कहा कि इस अभियान ने समाज में बदलाव लाया है। आज बेटियां हर खेल में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और नई ऊंचाइयों को छू रही हैं।
खेलों में सम्मान की समानता जरूरी
रानी ने कहा कि भारत में क्रिकेट को विशेष महत्व दिया जाता है, लेकिन अगर अन्य खेलों को भी समान सम्मान दिया जाए, तो देश में और भी खिलाड़ी आगे आ सकते हैं। उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों को खिलाड़ियों के मुद्दे उजागर करने और समाधान खोजने का बेहतरीन मंच बताया।