Haryana में प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है, खासकर जीटी रोड से सटे जिलों में। पानीपत में प्रदूषण का स्तर 500 तक पहुंच चुका है, जबकि करनाल और कुरुक्षेत्र में AQI 400 से ऊपर दर्ज किया गया है। 17 जिलों में AQI 300 से अधिक हो चुका है, जो कि स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।
हालांकि, पराली जलाने के मामलों में कमी आई है, लेकिन वाहनों की बढ़ती संख्या और इंडस्ट्रीज का प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। पानीपत में जाम और उद्योग भी प्रदूषण में इजाफा कर रहे हैं। सुबह के समय वातावरण में घनी स्मॉग की चादर नजर आ रही है, जिससे लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, एनसीआर में ग्रैप-2 लागू हो चुका है, लेकिन प्रदूषण की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए ग्रैप-3 की पाबंदियां भी जल्द लागू हो सकती हैं। प्रदेश में 27 अक्टूबर तक मौसम सूखा रहने का अनुमान है, जिसके चलते तापमान में गिरावट हो सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों पर हो रहा है। इसके चलते फेफड़ों की बीमारियों में भी इजाफा देखा जा रहा है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि 27 अक्टूबर तक हल्की हवाओं के साथ तापमान में गिरावट आ सकती है, जिससे प्रदूषण स्तर में मामूली कमी आने की उम्मीद है।
पराली जलाने के मामलों में आई कमी
सरकार की सख्ती के चलते पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। पिछले तीन सालों में पराली जलाने के मामलों में आधे से भी कम कमी आई है। 2021 में 1508 मामले सामने आए थे, जो 2024 में घटकर 665 हो गए हैं। किसानों को जागरूक करने के लिए सरकार की ओर से बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।