HATHRAS ACCIDENT

Hathras Accident : मंगल मिलन समागम बन गया मौत का मिलन, चढ़ी 122 लोगों की बली, पढ़िए पूरी घटना

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Hathras Accident : हाथरस में मंगलवार को हुए भोले बाबा के सत्संग के बाद भगदड़ मचने से अब तक 122 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रशासन ने 121 मौतों की पुष्टि की है। हादसा दोपहर 1 बजे फुलरई गांव में हुआ था। इस हादसे के बाद 4 जिलों – अलीगढ़, हाथरस, एटा और आगरा में रातभर शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ।

मंगलवार देर रात सिकंदराराऊ थाने में दरोगा ने 22 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई, जिसमें मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर का नाम शामिल है, बाकी सब अज्ञात हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का नाम शामिल नहीं है।

हादसे के बाद बाबा फरार

हादसे के बाद से बाबा फरार हो गया है। पुलिस रातभर उसकी तलाश में छापेमारी करती रही। पुलिस मैनपुरी में बाबा के आश्रम पहुंची, लेकिन वहां बाबा नहीं मिला। अब आश्रम के बाहर पुलिस तैनात है। इस बीच, वकील गौरव द्विवेदी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में ‌PIL दायर कर इस हादसे की CBI जांच की मांग की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से देर रात तक हादसे की रिपोर्ट ली और आज सुबह 11 बजे हाथरस के जिला अस्पताल पहुंचेंगे। परिजन अपने मृतकों के शव लेकर इधर-उधर भटकते रहे। हादसे के बाद से प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं और इस मामले में न्याय की मांग की जा रही है।

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चरणों के धूल के लिए भगदड़

सत्संग खत्म होने के बाद भोले बाबा निकले, तो चरण रज लेने के लिए महिलाएं टूट पड़ी। भीड़ हटाने के लिए वॉलंटियर्स ने वाटर कैनन का उपयोग किया। बचने के लिए भीड़ इधर-उधर भागने लगी और भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे को रौंदते हुए आगे बढ़ने लगे।

सत्संग में शामिल होने आई युवती ने बताया कि बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी हुई थी। सत्संग समाप्त होते ही लोग वहां से निकलना शुरू हुए। निकलने की जल्दी में भगदड़ मच गई। लोग एक दूसरे को देख ही नहीं रहे थे। महिलाएं और बच्चे गिरते चले गए। भीड़ उनके ऊपर से दौड़ रही थी। कोई बचाने वाला नहीं था। चारों ओर चीख पुकार मची हुई थी।

कौन है भोले बाबा

भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। वह एटा का रहने वाला है। करीब 25 साल से सत्संग कर रहा है। पश्चिमी यूपी के अलावा राजस्थान, हरियाणा में भी अनुयायी है। मंगलवाल को 50 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे थे।

80 हजार की परमिशन, ढाई लाख पहुंचे

आयोजकों ने सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति मांगी थी। इसी हिसाब से प्रशासन ने व्यवस्था की थी, लेकिन सत्संग में ढाई लाख से अधिक लोग पहुंच गए।

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