Ayodhya में रामलला मंदिर(Ram Mandir) के गर्भगृह में पहली बारिश के दौरान पानी टपकने की घटना(dispute over leaking roof) पर आए बयानों ने मंदिर के पुजारियों और ट्रस्ट के बीच खटपट की तरफ इशारा किया है। ये विवाद नया नहीं है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही ट्रस्ट और पुजारियों के बीच टकराव के मामले सामने आते रहे हैं। इससे यह संकेत मिल रहा है कि ट्रस्ट गर्भगृह में पूजा करने वाले पुजारियों में बदलाव(hint of change in the trust) कर सकता है।
बता दें कि रामलला मंदिर का ट्रस्ट प्रधानमंत्री कार्यालय(PMO) की देखरेख में काम करता है। मंदिर में पूजा करने के लिए एक मुख्य पुजारी और चार सहायक पुजारियों की नियुक्ति की गई है। यहां आने वाले श्रद्धालु कैश, चेक और जेवरात के माध्यम से दान देते हैं। पहले श्रद्धालु सीधे पुजारियों को दान देते थे, जो इस राशि और सामान को ट्रस्ट तक पहुंचाते थे। लेकिन ट्रस्ट ने नियमों में बदलाव करते हुए तय किया कि पुजारी सीधे दान नहीं लेंगे। श्रद्धालुओं को सीधे दानपात्र में दान देने के लिए कहा गया।

प्राण-प्रतिष्ठा के बाद मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को पुजारी प्रसाद और टीका देते थे। मगर, ट्रस्ट ने इस व्यवस्था में बदलाव किया और एक वीडियो जारी कर श्रद्धालुओं को प्रसाद देने पर रोक लगा दी। साथ ही, आदेश दिया कि मंदिर में पुजारी श्रद्धालुओं को टीका नहीं लगाएंगे। अब श्रद्धालुओं को गर्भगृह के बाहर ही प्रसाद दिया जाता है। पुजारियों ने इस बदलाव का विरोध किया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। ट्रस्ट का कहना था कि भीड़ अधिक होने के कारण गर्भगृह में जल्दी दर्शन कराने के लिए यह बदलाव किया गया है।

पीएफ और आवास की सुविधाएं
ट्रस्ट ने पुजारियों के लिए कई सुविधाएं बढ़ाई हैं, जैसे पूजा-अर्चना, भोग और अन्य सुविधाओं में सुधार किया है। साथ ही, पुजारियों का वेतन बढ़ाया गया, पीएफ और आवास की सुविधाएं भी दी जा रही हैं। दो साल पहले राम मंदिर ट्रस्ट पर 2 करोड़ की जमीन 18 करोड़ में खरीदने का आरोप लगा था। इस मामले में ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र पर आरोप लगे थे, जो केंद्र सरकार तक पहुंचे। इस विवाद के बाद राम मंदिर ट्रस्ट ने 4 महीने तक जमीन नहीं खरीदी, फिर धीरे-धीरे जमीन खरीदना शुरू किया।

संघ प्रचारक की देखरेख में खरीदी जमीनें
संघ के राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया को राम मंदिर का प्रभारी बनाया गया। संघ के प्रचारक गोपाल की देखरेख में ट्रस्ट ने जमीनें खरीदीं। अब पुराने पुजारियों को हटाने की तैयारी हो रही है। इंटरव्यू के माध्यम से 22 नए पुजारियों की भर्ती हो चुकी है और उनकी ट्रेनिंग चल रही है। जल्द ही उन्हें गर्भगृह में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। ये नए पुजारी ट्रस्ट के अधीन होंगे और उसके अनुसार ही काम करेंगे।

एकाधिकार नजर आ रहा टूटता
नए पुजारियों में पुराने पुजारियों के परिवार के सदस्यों को शामिल नहीं किया गया है। इससे पुराने पुजारियों को लग रहा है कि उनका एकाधिकार टूट रहा है। दूसरी ओर, ट्रस्ट अपने को और मजबूत करना चाहता है और पुजारियों का हस्तक्षेप नहीं चाहता। इस तरह की खींचतान के बीच मंदिर की व्यवस्थाओं में लगातार बदलाव हो रहे हैं, जो ट्रस्ट और पुजारियों के बीच तनाव को और बढ़ा सकते हैं।

परंपराओ में भी हो सकते है बदलाव
यह विवाद मंदिर की व्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है और आने वाले समय में रामलला मंदिर की पूजा-पाठ की परंपराओं में और भी बदलाव देखे जा सकते हैं। ट्रस्ट का यह कदम पुजारियों के पारंपरिक अधिकारों को चुनौती दे रहा है, जिससे यह विवाद और गहरा सकता है।