Chhath Puja

Chhath Puja 2024: क्यों मनाई जाती है छठ पूजा? पढ़िए इसके पीछे की पौराणिक कथा

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Chhath Puja में छठ मैया यानी षष्ठी देवी और भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्य बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ की पूजा कई दिनों तक चलती है। 2024 में छठ का त्यौहार 5 नंबर को मनाया जाएगा।

इस महापर्व की शुरूआत 5 नवंबर को नहाय-खाय से होगी। जबकि छठ पर्व का खरना पूजा 6 नवंबर, 2024 को है। इसके बाद 7 नवंबर को संध्याकारीन अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं छठ पूजा के अंतिम 8 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को ‘चैती छठ’ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को ‘कार्तिकी छठ’ कहा जाता है।

पौराणिक कथा

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कहा जाता है कि छठ पूजा की पौराणिक कथा राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी से जुड़ी है, जो संतान प्राप्ति की चाह में अत्यंत दुखी थे। संतोष के लिए, राजा और रानी महर्षि कश्यप के पास गए, जिनके आशीर्वाद से रानी गर्भवती हो गई। नौ महीनों बाद जब उनके पुत्र का जन्म हुआ तो वह मृत पैदा हुआ। जिसके बाद राजा और रानी अत्यधिक दुखी हो गए।

अपने मृत पुत्र के साथ अपने प्राण त्यागने के लिए राजा प्रियव्रत जब श्मशान पहुंचे, तब वहां देवी षष्ठी प्रकट हुई। देवी ने स्वयं को ब्रह्मा की पुत्री और सृष्टि की मूल प्रकृति से उत्पन्न षष्ठी देवी बताया। उन्होंने राजा से कहा कि यदि वे उनकी पूजा करेंगे और अन्य लोगों को भी षष्ठी देवी की आराधना के लिए प्रेरित करेंगे, तो वे उन्हें संतान का आशीर्वाद देंगी।

राजा ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी का व्रत रखकर देवी षष्ठी की उपासना की, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। माना जाता है कि तभी से संतान सुख और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए छठ पूजा की परंपरा का आरंभ हुआ, जो आज भी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाई जाती है।

विशेष सामग्रियां

छठ पूजा के लिए कुछ सामग्रियों की विशेष आवश्यकता होती है। माना जाता है कि इन पूजन सामग्रियों के बिना छठ पर्व पूरा नहीं होता है। छठ पूजा की पूजन सामग्रियों में बांस की टोकरी, नारियल, पत्ते लगे गन्ने, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप, थाली, लोटा, नए वस्त्र, नारियल पानी भरा, फल, कलश , कुमकुम, पान, सुपारी इत्यादि की जरूरत होती है।

पूजा विधि

छठ पूजा के दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान आदि से शुद्ध होकर व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन अन्न का सेवन न करें और निर्जला व्रत रखें। पहले दिन शाम को नदी या जलाशय के तट पर स्नान करें और सूरज को संध्या अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के लिए बांस की टोकरी का ही उपयोग करें। टोकरियों में फल, फूल, सिंदूर और पूजा की अन्य सामग्रियों को व्यवस्थित रखें। इसके साथ ठेकुआ, मालपुआ और अन्य प्रसाद भी अर्पित करें। अर्घ्य के समय सभी सामग्रियां सूप में होनी चाहिए। रात भर निर्जला व्रत के बाद अगले दिन प्रातःकाल उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें और पूजा सम्पन्न करें।

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