हिंदु धर्म में Navratri का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों के दौरान मां पृथ्वी पर ही निवास करती है और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करती है, साथ ही सुख-समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद देती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के आठवें स्वरूप यानि कि महागौरी माता की पूजा की जाता है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से माता की अराधना करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि माता के इस स्वरूप की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हर असंभव कार्य पूर्ण हो जाते हैं इसलिए इनकी पूजा और मंत्र को ध्यान से करना चाहिए। मां महागौरी की चार भुजाएं हैं। मां का ऊपरी दायां हाथ अभय मुद्रा में स्थित है, जबकि नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू है और नीचे वाला बायां हाथ वर मुद्रा में है। मां की मुद्रा अत्यंत शांत है।
कथा
पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह दिया, जिससे देवी का मन आहत हो गया और पार्वती जी तपस्या में लीन हो गईं। इस प्रकार वर्षों तक कठोर तपस्या करने के बाद जब पार्वती नहीं आईं तो उनको खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचे। वहां पहुंचकर मां पार्वती को देखकर भगवान शिव आश्चर्यचकित रह गए। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओझ पूर्ण था, उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत, कुंध के फूल के समान धवल दिखाई पड़ रही थी, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान दिया। तभी से माता पार्वती को महागौरी के रूप में भी जाना जाता है।
पूजा विधि
माता महागौरी की कृपा पाने के लिए सुबह सबसे पहले स्नान कर लें। इसके बाद माता महागौरी की चौंकी लगा दें। माता महागौरी को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें और खुद भी सफेद रंग के वस्त्र पहनें। इसके बाद मां महागौरी को सफेद फूल अर्पित करें। माता महागौरी को हलवा, चना और पूड़ी का भोग लगाएं। इसके बाद मां महागौरी जी की आरती गाएं। आप माता को पूड़ी, चना और हलवा बेहद पसंद हैं। साथ ही सफेद रंग की मिठाई का भी भोग लगाया जा सकता है। इससे मां महागौरी की कृपा आप पर बनी रहती है।
मां महागौरी का ध्यान मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥