सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में स्नान-ध्यान तर्पण श्राद्ध कर्म इत्यादि से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति प्राप्त होती है। इस अवधि में पितर अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए मृत्युलोक पर आते हैं। आइए जानते हैं कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष?
वैदिक पंचांग के अनुसार, अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से पितृ पक्ष का शुभारंभ हो जाता है। सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। मान्यता है कि पितृ पक्ष की अवधि में पूर्वज स्वर्गलोक से मृत्युलोक पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने आते हैं।
कितने दिन चलते हैं श्राद्ध
पितृ पक्ष में पूर्वजों को सम्मान देने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए पूजा-पाठ और कई अनुष्ठान किए जाते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए यह समय उत्तम माना जाता है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष कहते है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष का समय बहुत विशेष माना जाता है। पितृ पक्ष के इन 16 दिनों में श्राद्ध कर्म होते हैं। पितृ पक्ष में पितरों को तृप्त करने के प्रयास किए जाते हैं। इसके लिए इन दिनों में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा है।
इस साल 15 दिन देरी से शुरू होंगे पितृ पक्ष
इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और 14 अक्टूबर 2023 को यह समाप्त होंगे। पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। इसे सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं। अधिक मास की वजह से इस साल सावन दो महीने का है। इसकी वजह से सभी व्रत-त्योहार 12 से 15 दिन देरी से पड़ेंगे। आमतौर पर पितृ पक्ष सितंबर में समाप्त हो जाते हैं लेकिन इस साल पितृ पक्ष सितंबर के आखिर में शुरू होंगे और अक्टूबर के मध्य तक चलेंगे।
पित पृक्ष 2023 श्राद्ध तिथियां
- पूर्णिमा का श्राद्ध – 29 सितंबर 2023 (शुक्रवार)
- प्रतिपदा का श्राद्ध – 29 सितंबर 2023 (शुक्रवार)
- द्वितीया का श्राद्ध – 30 सितंबर 2023 (शनिवार)
- तृतीया का श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2023 (रविवार)
- चतुर्थी का श्राद्ध – 2 अक्टूबर 2023 (सोमवार)
- पंचमी का श्राद्ध – 3 अक्टूबर 2023 (मंगलवार)
- षष्ठी का श्राद्ध – 4 अक्टूबर 2023 (बुधवार)
- सप्तमी का श्राद्ध – 5 अक्टूबर 2023 (गुरुवार)
- अष्टमी का श्राद्ध – 6 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार)
- नवमी का श्राद्ध – 7 अक्टूबर 2023 (शनिवार)
- दशमी का श्राद्ध – 8 अक्टूबर 2023 (रविवार)
- एकादशी का श्राद्ध – 9 अक्टूबर 2023 (सोमवार)
- मघा श्राद्ध – 10 अक्टूबर 2023 (मंगलवार)
- द्वादशी का श्राद्ध – 11 अक्टूबर 2023 (बुधवार)
- त्रयोदशी का श्राद्ध – 12 अक्टूबर 2023 (गुरुवार)
- चतुर्दशी का श्राद्ध – 13 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार)
- सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या – 14 अक्टूबर 2023 (शनिवार)
पितृ पक्ष में जरूर करें ये उपाय
शास्त्रों में यह विदित है कि पितृ पक्ष में स्नान-दान और तर्पण इत्यादि का विशेष महत्व है। इस अवधि में किसी ज्ञानी द्वारा ही श्राद्ध कर्म या पिंडदान इत्यादि करवाना चाहिए। साथ ही किसी ब्राहमण को या जरूरतमंद को अन्न, धन या वस्त्र का दान करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितृ पक्ष पूर्वजों की मृत्यु के तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म या पिंडदान किया जाता है। किसी व्यक्ति को यदि अपने पूर्वजों की मृत्यु का तिथि याद नहीं है तो वह अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन यह कर्म कर सकते हैं। ऐसा करने से भी पूर्ण फल प्राप्त होता है।