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Mahakumbh-2025: “संगम” से उठेगी शांति की “पुकार”, रूस-यूक्रेन के संत एक साथ लगाएंगे आस्था की डुबकी! जानें क्या हैं तैयारियां

उत्तर प्रदेश देश

Prayagraj महाकुंभ 2025 में संगम की पावन धरती इस बार विश्व शांति और मानवता का अनूठा संदेश देने जा रही है। तीन साल से विनाशकारी युद्ध में उलझे रूस और यूक्रेन के नागरिक और संत महाकुंभ में एक साथ संगम के तट पर आस्था की डुबकी लगाएंगे और शांति का आह्वान करेंगे। संगम की रेती पर इसके लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं।

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रूस-यूक्रेन के भक्त एक होंगे साथ

संगम लोअर मार्ग पर ब्रह्मलीन पायलट बाबा का लग्जरी शिविर तैयार किया जा रहा है। इसमें रूस और यूक्रेन के नागरिकों के एक साथ ठहरने का प्रबंध किया जा रहा है। यहां लक्जरी कॉटेज बनाए गए हैं, जहां जापान, नेपाल और जर्मनी जैसे देशों के भक्त भी आएंगे। पायलट बाबा के अनुयायी रूस और यूक्रेन में लंबे समय से मौजूद हैं। हालांकि, युद्ध के कारण दोनों देशों के बीच गहरा तनाव है, लेकिन सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था इस दुश्मनी को दरकिनार करते हुए उन्हें महाकुंभ के इस विशेष आयोजन में एक साथ ला रही है। युद्ध के बावजूद दोनों देशों के भक्त यहां एक साथ रहकर पूरी दुनिया को मानवता और शांति का संदेश देंगे।

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शांति महायज्ञ में देंगे प्रेम और सद्भाव का संदेश

रूस की साध्वी उत्तमिका ओम गिरि और यूक्रेन की आदिशक्ति सती माता युद्ध रोकने के लिए महायज्ञ करेंगी। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी विष्णु देवा नंद सरस्वती की शिष्याएं एक साथ एक ही हवन कुंड पर आहुतियां देंगी। यह शांति महायज्ञ 25 से 30 जनवरी तक आयोजित होगा, जिसमें 200 से अधिक विदेशी साधु-संत हिस्सा लेंगे।

महायज्ञ के लिए लकड़ी और कांच से रूस-यूक्रेन आध्यात्मिक गलियारा बनाया गया है। यह गलियारा इन दोनों देशों के संतों को एक मंच पर लाने का प्रतीक है। जापान और कनाडा से आए संत भी इस पहल में साथ देंगे। माना जा रहा है कि इस बार रूस, यूक्रेन, जापान और नेपाल से लगभग 1,000 भक्त महाकुंभ में शामिल होंगे।

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संगम से शांति का संदेश

महाकुंभ में रूस और यूक्रेन के भक्तों का संगम यह दर्शाएगा कि भक्ति और आस्था किसी भी सीमा या दुश्मनी से ऊपर होती है। दुनिया जहां युद्ध और टकराव की खबरों से भरी हुई है, वहीं संगम का यह शिविर शांति और भाईचारे की नई मिसाल पेश करेगा। महाकुंभ में रूस और यूक्रेन के संतों का यह संगम दुनिया को यह सिखाएगा कि आस्था और प्रेम की शक्ति से किसी भी युद्ध और विवाद को हल किया जा सकता है। संगम की रेती पर शांति का यह यज्ञ मानवता और भाईचारे का प्रतीक बनकर उभरेगा।

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