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Mahakumbh 2025 : आस्था और परंपरा का महापर्व शुरू, पहले शाही स्नान में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

उत्तर प्रदेश देश धर्म

Prayagraj त्रिवेणी संगम की पवित्र धरती पर विचारों, संस्कृतियों, परंपराओं और आस्थाओं का महासंगम शुरू हो चुका है। 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ 2025 का शुभारंभ आज पौष पूर्णिमा के अवसर पर ‘शाही स्नान’ के साथ हुआ। यह अनुष्ठान युगों पुरानी परंपरा का प्रतीक है, जो समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की चंद बूंदों से शुरू हुआ था।

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श्रद्धालुओं का उत्साह, अद्भुत नजारा

गहरी ठंड के बावजूद देश-विदेश से आए करोड़ों श्रद्धालु संगम पर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। पहले दिन लगभग 1 करोड़ भक्तों के स्नान करने का अनुमान है। संगम नोज पर हर घंटे करीब 2 लाख लोग स्नान कर रहे हैं। उम्रदराज महिलाओं और पुरुषों से लेकर छोटे बच्चे तक गंगा-मैया के गीत गाते हुए संगम की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं।

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खास मेहमान और अंतरराष्ट्रीय आकर्षण

एपल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी महाकुंभ में शामिल हुईं। उन्होंने निरंजनी अखाड़े में अनुष्ठान किया और कल्पवास करने की योजना बनाई है। विदेशी श्रद्धालुओं का भी जमावड़ा लगा है, जिनमें से कई पवित्र डुबकी लगाकर भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में लीन हो रहे हैं।

व्यवस्था और सुरक्षा के कड़े इंतजाम

महाकुंभ क्षेत्र को करीब 12 किमी में विस्तारित किया गया है, जहां स्नान घाट बनाए गए हैं। सुरक्षा और व्यवस्थाओं को संभालने के लिए 60,000 जवान, कमांडो, पैरामिलिट्री फोर्स और जल पुलिस तैनात हैं। जगह-जगह एनडीआरएफ की टीमें अलर्ट मोड पर हैं। श्रद्धालुओं को संगम तक पहुंचने के लिए वाहनों की एंट्री बंद कर दी गई है, जिससे वे 10-12 किलोमीटर पैदल चलकर आ रहे हैं।

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144 वर्ष बाद खगोलिय संयोग

महाकुंभ 2025 विशेष खगोलीय संयोग में हो रहा है, जो 144 वर्षों बाद आया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस शुभ अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई दी। महाकुंभ को लेकर गूगल ने भी खास फीचर पेश किया है, जिसमें ‘महाकुंभ’ टाइप करते ही वर्चुअल फूलों की बारिश हो रही है।

कल्पवास की शुरुआत

आज से श्रद्धालु 45 दिनों के कल्पवास का भी शुभारंभ कर चुके हैं। संगम पर हर ओर श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। महाकुंभ के पहले स्नान ने यह साबित कर दिया कि यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो आस्था की शक्ति और भारतीय संस्कृति की समृद्धि को दर्शाता है।

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