होली खेलन आए बिहारी सुन सुन रावल बारी

Mathura : राधा रानी के आंगन में रंगों की बरसात, जब प्रेम भरी लाठियां बरसाएंगी हुरियारनें, राधा-कृष्ण की अलौकिक होली का साक्षी बनेगा ब्रज का रावल गांव

देश उत्तर प्रदेश धर्म-कर्म

ब्रज की पावन धरा पर फाल्गुन के रंग चढ़ने लगे हैं और राधा रानी की जन्मस्थली रावल में 9 मार्च को होने वाली लठमार होली की तैयारियां जोरों पर हैं। पूरे गांव में उल्लास की लहर दौड़ रही है, गलियां सजने लगी हैं, और मंदिर प्रांगण भक्ति और प्रेम के रंग में रंग चुका है। फाल्गुन की मस्ती, ब्रज का अनूठा रंग और राधा रानी के आंगन में प्रेम और भक्ति का अद्भुत संगम! रावल गांव में लठमार होली अपने पूरे रंग में होगी। जब प्रेमरस में डूबी हुरियारिनें प्रेम भरी लाठियां बरसाएंगी और गोकुल के हुरियारे उन्हें सहर्ष स्वीकार करेंगे, तो पूरा रावल गांव कृष्ण-राधा की अलौकिक होली का साक्षी बनेगा।

होली खेलन आए बिहारी सुन सुन रावल बारी 1

होली खेलन आए बिहारी, सुन-सुन रावल बारी

सुबह से ही रावल की गलियां गुलाल और अबीर से सराबोर होने लगेंगी। हर ओर ‘होली खेलन आए बिहारी, सुन-सुन रावल बारी’ जैसे रसिया गूंजेंगे और भक्तजन नृत्य करते हुए इस अलौकिक उत्सव का आनंद लेंगे। मंदिर प्रांगण में जब राधा रानी को गुलाल अर्पित कर होली का शुभारंभ होगा, तो ऐसा लगेगा मानो द्वापर युग स्वयं उतर आया हो।

Whatsapp Channel Join

holi2

रंगों की गंगा में बहेंगे श्रद्धालु

रावल गांव की गलियां पहले ही रंगों की खुशबू से महकने लगी हैं। श्रद्धालु देश-विदेश से यहां पहुंचने लगे हैं, और मंदिर प्रांगण भक्ति और उल्लास से गूंज रहा है। गांव के हर कोने में टेसू के फूलों से तैयार किए गए प्राकृतिक रंगों की तैयारी हो रही है। ढोल-नगाड़ों की थाप और कृष्ण-रस में डूबे फाग गीतों की धुन हर किसी को आनंदित कर रही है।

holi05

जब प्रेम की लाठियां बजेंगी और भक्तजन धन्य होंगे

दोपहर होते ही जब गोकुल के हुरियारे रावल पहुंचेंगे, तो लठमार होली का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। सोलह श्रृंगार किए हुरियारिनें लाठियां लेकर तैयार रहेंगी, और जैसे ही हुरियारे उनके सामने आएंगे, प्रेम और भक्ति की लाठियां बरसेंगी। हुरियारे इन्हें प्रसाद स्वरूप सहर्ष स्वीकार करेंगे, और हर वार के साथ ब्रज की पावन परंपरा जीवंत हो उठेगी।

श्रद्धालु रंगों से सराबोर होकर आनंद की अवस्था में झूम उठेंगे। गुलाल और टेसू के रंगों की बौछार से वातावरण अलौकिक बनेगा, और राधा-कृष्ण के प्रेम की यह लीला हर भक्त के हृदय में भक्ति का संचार कर देगी।

holi

रावल में हर कण-कण में बसे हैं राधा-कृष्ण

रावल केवल एक गांव नहीं, यह राधा रानी की जन्मस्थली है, जहां हर गली, हर द्वार कृष्ण-राधा के प्रेम की गवाही देता है। यहां की लठमार होली कोई साधारण उत्सव नहीं, बल्कि भक्त और भगवान के बीच प्रेम का रंग है, जो हर वर्ष इसी उत्साह से मनाया जाता है।

श्रद्धालुओं के स्वागत की विशेष तैयारियां

लठमार होली में हर साल हजारों श्रद्धालु रावल पहुंचते हैं, इसलिए इस बार प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। मंदिर परिसर और रावल की गलियों में विशेष साफ-सफाई की जा रही है। श्रद्धालुओं के ठहरने और खाने-पीने के लिए गांव के लोगों ने विशेष इंतजाम किए हैं। पूरे आयोजन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहेगा। यातायात प्रबंधन को सुचारू बनाए रखने के लिए पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। श्रद्धालुओं को पारंपरिक ब्रज संस्कृति का अनुभव कराने के लिए फाग गीतों और लोकनृत्यों की प्रस्तुति भी होगी।

Celebration of Holi on the land of Mathura - 3

रावल की यह होली सिर्फ रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और परंपरा का अनूठा संगम है। यहां की हर गली में राधा-कृष्ण के प्रेम की महक है, हर कोना कृष्ण युग की याद दिलाता है। 9 मार्च को जब सूरज पश्चिम की ओर ढलने लगेगा और मंदिर प्रांगण में संध्या आरती गूंजेगी, तब भक्तों के मन में यह अद्भुत अनुभूति बसी रह जाएगी कि उन्होंने सच में राधा-कृष्ण के ब्रज में होली खेल ली। 

अन्य खबरें