Triple attack on Congress in 24 hours

Congress को 24 घंटे में 3 झटके : Gaurav Vallabh ने दिया इस्तीफा, बोलें सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता, Sanjay Nirupam ने कहा कांग्रेस में 5 पावर सेंटर, वैचारिक द्वंद्व से कार्यकर्ता निराश

देश राजनीति

लोकसभा चुनाव से पहले हर दल में उठापटक का दौर जारी है। तमाम दलों के नेता अपना सियासी करियर देखते हुए उछल-कूद मचा रहे हैं। इस कड़ी में कांग्रेस को 24 घंटे में 3 बड़े झटके लगे हैं। इसमें विजेंद्र सिंह, संजय निरुपम के बाद अब गौरव वल्लभ की भी नाम जुड़ गया है। वल्लभ राजस्थान के उदयपुर और झारखंड के जमशेदपुर से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि दोनों जगह हार का सामना करना पड़ा।

Congress leader Gaurav Vallabh ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है। उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। वहीं कांग्रेस से निष्कासित हुए Former MP Sanjay Nirupam ने आज 4 अप्रैल को कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में पांच अलग-अलग पावर सेंटर हैं। सोनिया, राहुल, बहनजी, नए अध्यक्ष खड़गे और वेणुगोपाल। कांग्रेस में वैचारिक द्वंद्व चल रहा है। इससे कार्यकर्ताओं में निराशा चल रही है।

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरड़े को लिखे पत्र में गौरव वल्लभ ने कहा कि मैं भावुक हूं। मन व्यथित है। काफी कुछ कहना चाहता हूं। लिखना चाहता हूं। बताना चाहता हूं, लेकिन मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं, जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे। फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छिपाना भी अपराध है और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता। गौरव वल्लभ ने लिखा है कि मैं वित्त का प्रोफेसर हूं। कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं। जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया, तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है, जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की कद्र होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नए आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाता।

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पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नए भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है। जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और न ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है। बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है, जो कि राजनीतिक रूप से जरूरी है। जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता, तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है। गौरव वल्लभ ने आगे लिखा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं। पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया। पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं और पार्टी का उस पर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है।

गौरव वल्लभ ने आगे लिखा कि जब मैंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, उस वक्त मेरा ध्येय सिर्फ यही था कि आर्थिक मामलों में अपनी योग्यता व क्षमता का देशहित में इस्तेमाल करूंगा। हम सत्ता में भले नहीं हैं, लेकिन अपने मैनीफेस्टो से लेकर अन्य जगहों पर देशहित में पार्टी की आर्थिक नीति-निर्धारण को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते थे, लेकिन पार्टी स्तर पर यह प्रयास नहीं किया गया, जो मेरे जैसे आर्थिक मामलों के जानकार व्यक्ति के लिए किसी घुटन से कम नहीं है। पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है। उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह-शाम देश के के वेल्थ क्रिएटर को गाली दे सकता हूं। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं। व्यक्तिगत रूप से मैं आपसे मिले स्नेह के लिए हमेशा आभारी रहूंगा।

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उधर संजय निरुपम का कहना है कि राहुल के आसपास जो लेफ्टिस्ट हैं, वह आस्था में विश्वास नहीं करते। अकेले कांग्रेस ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण के जवाब में चिट्ठी लिखी कि यह भाजपा का प्रचार है। उन्होंने राम के अस्तित्व को ही नकार दिया। इससे पहले सुबह उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम अपना इस्तीफा भेजने के बाद पार्टी ने उन्हें निकाला। दरअसल बुधवार रात खड़गे ने अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानों की शिकायतों के बाद निरुपम को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने की मंजूरी दी थी।

सोशल मीडिया पोस्ट में निरुपम ने मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे इस्तीफे की तस्वीर शेयर की। उन्होंने लिखा कि ऐसा लगता है कि बीती रात मेरा इस्तीफा मिलते ही पार्टी ने मुझे निकाले जाने का ऐलान करने का फैसला लिया। ऐसी फुर्ती देखकर अच्छा लगा। संजय निरूपम का कहना है कि कांग्रेस कहती है कि वह सेक्युलर पार्टी है। इसमें कुछ गलत नहीं। गांधीजी के सेक्युलरिज्म में किसी धर्म का विरोध नहीं था। नेहरूजी के सेकुलरिज्म में ये सही, ये गलत वाली बात थी। लेकिन आज नेहरू के सेक्युलरिज्म की विचारधारा खत्म हो गई है। इसे मानने के लिए कांग्रेस तैयार नहीं है।

इस विचारधारा को लेकर सबसे तेजी से लेफ्टिस्ट चल रहे हैं। वह खुद खत्म हो चुके हैं। राहुलजी के आसपास लेफ्टिस्ट लोग हैं। यह लोग अयोध्या में राम के विराजमान होने का विरोध करेंगे। यह आस्था में विश्वास नहीं करते। कई लोगों को रामलला विराजमान के कार्यक्रम में बुलाया गया था। सभी ने सम्मान से कहा कि चिट्ठी मिली है। अगर फुर्सत मिली तो आ जाएंगे। किसी ने उत्सव पर सवाल नहीं उठाया। अकेली कांग्रेस ने चिट्ठी लिखी कि यह भाजपा का प्रचार है। उन्होंने राम के अस्तित्व को ही नकार दिया।

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