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Mahakumbh 2025: प्रयागराज बना विश्व की सर्वाधिक आबादी वाला शहर! टोक्यों को भी पीछे छोड़ा, मौनी अमावस्या पर रचेगा “इतिहास”

उत्तर प्रदेश धर्म-कर्म

Prayagraj महाकुंभ मेले ने न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म की अनूठी छटा बिखेरी है, बल्कि जनसंख्या के आंकड़ों में भी इतिहास रच दिया है। मकर संक्रांति के अवसर पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान कर आस्था की डुबकी लगाई। यह संख्या अपने आप में ऐतिहासिक है क्योंकि प्रयागराज की सामान्य जनसंख्या 70 लाख है। इस तरह मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज की कुल आबादी 4.20 करोड़ तक पहुंच गई, जिससे यह शहर कुछ समय के लिए विश्व के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची में शीर्ष पर आ गया।

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टोक्यो को भी पीछे छोड़ा

महाकुंभ मेले के दौरान प्रयागराज ने जापान के टोक्यो (जनसंख्या: 3.75 करोड़) को भी पीछे छोड़ दिया। इस दौरान प्रयागराज का कुल आंकड़ा दिल्ली, शंघाई, साओ पाउलो और काहिरा जैसे बड़े शहरों की आबादी से कहीं अधिक हो गया।

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विश्व के बड़े शहरों की जनसंख्या

1. टोक्यो: 3.75 करोड़

2. दिल्ली: 2.94 करोड़

3. शंघाई: 2.63 करोड़

4. साओ पाउलो: 2.18 करोड़

5. मेक्सिको सिटी: 2.16 करोड़

6. काहिरा: 2.04 करोड़

7. ढाका: 2.02 करोड़

8. मुंबई: 2.01 करोड़

9. बीजिंग: 2 करोड़

10. ओसाका: 1.9 करोड़

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मौनी अमावस्या पर नए रिकॉर्ड की उम्मीद

प्रशासन ने अनुमान लगाया है कि मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में 6-8 करोड़ श्रद्धालु पवित्र स्नान करेंगे। यह संख्या अब तक के सभी धार्मिक आयोजनों के रिकॉर्ड तोड़ सकती है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए प्रशासन ने व्यापक व्यवस्था की है।

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पहले दो दिन में 5.25 करोड़ श्रद्धालु

महाकुंभ के पहले दिन पौष पूर्णिमा पर 1.65 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंचे, जबकि दूसरे दिन मकर संक्रांति पर यह संख्या 3.50 करोड़ तक पहुंच गई। 12 किलोमीटर लंबे घाटों पर आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ा, जो मानवीय अद्वितीयता की मिसाल बन गया।

दुनिया भर के श्रद्धालुओं का जमावड़ा

महाकुंभ में न केवल भारत बल्कि दुनिया भर से श्रद्धालु पहुंचे हैं। यह आयोजन हमें यह सिखाता है कि वास्तविक खुशी धर्म और आध्यात्मिकता में निहित है। त्रिवेणी संगम के पास विदेशी तीर्थयात्रियों की मौजूदगी इस आयोजन को और भी खास बना रही है। सभी धर्मों और जातियों के लोग यहां आकर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर रहे हैं।

आस्था और व्यवस्थाओं का संगम

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा और सुविधाओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।

12 किलोमीटर लंबे घाटों पर स्नान के लिए विशेष इंतजाम।

5,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात।

फूड स्टॉल, मेडिकल कैंप और हेल्प डेस्क की व्यवस्था।

सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से निगरानी।

महाकुंभ की महिमा

महाकुंभ न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज ने जिस तरह दुनिया को भारतीय परंपराओं की झलक दिखाई, वह आने वाले वर्षों तक याद रखा जाएगा। आगामी मौनी अमावस्या पर एक बार फिर प्रयागराज में मानवता का अद्वितीय संगम देखने को मिलेगा।

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